रायपुर, निप्र। राज्य सरकार ने प्रदेशभर के सरकारी डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस के नियम सख्त कर दिए हैं। नियमों के आधार पर कोई भी सरकारी डॉक्टर किसी निजी नर्सिंग होम, क्लीनिक, पैथोलॉजी लैब में सेवाएं नहीं दे सकता। वह अपने खुद की क्लीनिक में जरूर बैठ सकता है। डॉक्टर्स को इन नियमों के आधार पर अपने-अपने विभाग प्रमुख को 25 फरवरी तक शपथ-पत्र देना होगा, अगर नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है।
सरकार के इस निर्णय से डॉक्टर्स में हड़कंप मच गया है। मेडिकल कॉलेजों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक के डॉक्टर सकते में हैं। सूत्र बताते हैं कि गुरुवार, 16 फरवरी तक एक भी डॉक्टर ने शपथ-पत्र नहीं दिया है।
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (सिम्स) में पिछले महीने इलाज में लापरवाही से बच्ची की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने इसे तत्काल संज्ञान में लेते हुए डॉक्टर की भर्ती के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 14 फरवरी को 5 बिंदुओं वाला एक पत्र तैयार किया।
इसमें प्राइवेट प्रैक्टिस किन नियमों के तहत की जा सकती है, ये लिखा गया है। विभाग शपथ-पत्रों को हाईकोर्ट के समक्ष पेश करेगा। हालांकि विभाग पर डॉक्टर्स लॉबी का दबाव भी है, संभव है कि आने वाले कुछ दिनों के अंदर नियमों पर पुनर्विचार हो। ‘नईदुनिया’ के पास विभाग के आदेश की प्रति मौजूद है।
विभाग से निर्देश मिले हैं
स्वास्थ्य विभाग के जो निर्देश मिले हैं, उनका पालन सभी को करना होगा। निर्देश की कॉपी सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रमुखों को भेज दी गई है। – डॉ. सुमित त्रिपाठी, उप संचालक, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय