भोपाल, हरेकृष्ण दुबोलिया। साल भर पहले जिन पीडीएस की दुकानों से लोगों यह कर लौटा दिया जाता था कि राशन नहीं है बाद में आना,अब उन्हीं दुकानों में ना केवल भरपूर राशन है बल्कि हर महीने बच भी रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आधारबेस्ड सिस्टम लागू होने के बाद प्रदेश में एक साल में पीडीएस की कालाबाजारी पर काफी हद तक रोक लगी है।
अब प्रदेश में हर महीने न केवल 16 लाख अतिरिक्त गरीब परिवारों को पर्याप्त राशन बांटा जा रहा है, बल्कि हर महीने केंद्र से मिलने वाले कोटे में से औसतन ढाई से तीन हजार मीट्रिक टन अनाज की बचत भी हो रही है।
यह स्थिति तब है जब केवल शहरी क्षेत्रों में ही पीडीएस सिस्टम में बायोमीट्रिक पहचान अनिवार्य की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस सिस्टम के लागू होने के बाद बचत का यह अनुपात दोगुना हो सकता है।
एक साल में 18 लाख 85 हजार 145 कथित पीडीएस परिवारों ने अब तक अपना आधार लिंक नहीं कराया है,यह लोग पीडीएस दुकानों पर राशन लेने भी नहीं आ रहे हैं। आशंका इसी बात की है इतनी बड़ी संख्या में गरीबी रेखा के फर्जी राशनकार्डों के जरिए पीडीएस के अनाज की कालाबाजारी की जा रही थी। हालांकि इन राशनकार्डों को अभी निरस्त करने के बजाए इनका राशन का कोटा रोका गया है। ताकि यदि कोई व्यक्ति गलती से छूट गया है तो वह अपना आधार लिंक कराकर फिर से राशन ले सकता है।
केंद्र से मिलता है 2.89 लाख मीट्रिक टन अनाज
पीडीएस के लिए हर महीने प्रदेश को 2.89 लाख मीट्रिक टन अनाज का कोटा आवंटित होता है। इसमें प्रदेश की 5 करोड़ 34 लाख आबादी कवर होती है। जबकि प्रदेश में पीडीएस पात्रता वाली गरीब आबादी की संख्या 5 करोड़ 50 लाख (1 करोड़ 18 लाख 21 हजार 99 परिवार) है। इनमें लगभग 1 करोड़ 2 लाख प्राथमिकता परिवार (बीपीएल) हैं, जबकि 16 लाख परिवार अंत्योदय सूची में आते हैं।
अंत्योदय परिवारों को कुल 35 किलोग्राम अनाज प्रतिमाह दिया जाता है। जबकि सामान्य गरीब परिवारों को प्रति व्यक्ति के मान से प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज (4 किलो गेहूं+1किलो चावल) प्रदान किया जाता है।