धामनोद (धार)। राम महाजन। किसान खेती में नित नए प्रयोग करके उसे लाभ का धंधा बनाने का प्रयास कर रहा है। समीपस्थ ग्राम पटलावद के एक किसान ने मोती की खेती की शुरुआत की है। बकायदा प्रशिक्षण लेने के बाद नर्मदा नदी से लाए गए सीप को मन चाहे आकार के मोतियों में ढालने की कोशिश की गई है। किसान इसमें कुछ हद तक सफल भी हुआ है। ऐसे में किसान ने आगामी दिनों में वह ब्लैक पर्ल यानी काले मोती की खेती करने का मन बना लिया है।
जिले में पर्ल फॉर्मिंग यानी मोती की खेती की शुरुआत ग्राम पटलावद के किसान भगवान विट्ठल पाटीदार ने की है। उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी से सीप एकत्रित करके उन्हें खेत पर बनाए गए छोटे से तालाब में डाला जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक तरीके से पूरी प्रक्रिया की जाती है।
चूंकि नर्मदा नदी के पानी और तालाब के पानी में अंतर होता है। ऐसे में सीप को पानी का अनुकूलन करवाने के लिए प्रयास किए जाते हैं। इस तरह के अनुकूलन में करीब सात दिन लग जाते हैं। इसके बाद सीप के मुंह को करीब 8 मिमी चौड़ा किया जाता है। इसके बाद मनचाहे आकार में ढालने के लिए सांचा डाला जाता है। इस किसान ने मोती को शिवजी, गणेशजी सहित अन्य आकारों में ढालने के लिए काम किया है।
14 माह में तैयार होता है मोती
मोती की खेती आसान नहीं है। ऐसे में बढ़े धैर्य की आवश्यकता होती है। सीप को पूर्ण रूप से मोती में तब्दील करने में करीब 14 से 16 माह का समय लग जाता है। किसान का कहना है कि जितना अधिक समय दिया जाता है उतना बेहतर क्वालिटी का मोती बनकर तैयार होता है।
भगवान पाटीदार ने बताया कि इस खेती के लिए शासन द्वारा जो अधिकृत संस्थान है उससे प्रशिक्षण नहीं मिल पाया, क्योंकि वहां पर केवल 12 लोगों को ही मौका मिल पाता है। ऐसे में मैंने अपने जेब से पैसा खर्च कर निजी क्षेत्र से इसकी ट्रेनिंग ली। उनका कहना है कि बाजार में मोतियों की कीमत बहुत अधिक है। कई बार यदि बहुत अच्छी गुणवत्ता के मोती तैयार हो जाते हैं तो उससे लाखों में कमाई हो सकती है। वहीं किसान का कहना है कि वह मौसम के अनुकूल आगामी दिनों में ब्लैक पर्ल की खेती करेगा।