सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों ने नर्सरी कक्षा में दाखिला के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में केजरीवाल सरकार पर वोट की राजनीति करने और इसके लिए स्कूलों को इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
स्कूलों ने कहा कि सरकार ने दाखिले के लिए नेबरहुड की नीति लागू करने का फैसला राजनीतिक कारणों से लिया है।
जस्टिस मनमोहन के समक्ष स्कूलों ने कहा कि सरकार नेबरहुड नीति इसलिए लागू कर रही है ताकि बच्चों का दाखिला घर के पास के स्कूल में हो जाए। साथ ही कहा कि सरकार ऐसा वोट सुनिश्चित करने के लिए कर रही है। स्कूलों ने कहा कि आज दुनिया भर में स्थानीय बनाम बाहरी का चलन शुरू हो रहा है और इसे रोकने की जरूरत है। इतना ही नहीं, स्कूलों ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के उस ट्विट पर भी आपत्ति जताया जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘सीट बेचने वाले प्राइवेट स्कूलों को मेरा सुझाव है कि अगर मुनाफे का धंधा ही चलाना है तो शिक्षा बेचने की जगह जलेबी बेच लें।
इसके अलावा स्कूलों ने कहा कि जिन्हें घर के पास के स्कूल में दाखिला लेना हो वे सरकारी स्कूलों में दाखिला ले। स्कूलों ने कहा है कि सरकार ने 7 जनवरी को जिस तरीके से दाखिले के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है वह उनके स्वायत्तता पर हमला है। स्कूलों ने कहा कि अभी इस मामले में भूमि आवंटन की शर्तों को लागू करने को लेकर तह में जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अभी हम सिर्फ अंतरिम राहत की मांग कर रहे हैं। स्कूलों ने यह दलील तब दी जब हाईकोर्ट ने सवाल किया कि सरकार जैन सभा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर दावा कर रही है कि स्कूलों की याचिका पर नोटिस भी जारी नहीं किया जा सकता है।
298 में क्यों, सभी निजी स्कूलों में नेबरहुड क्यों नहीं
स्कूलों ने हाईकोर्ट में दाखिले के लिए नेबरहुड (स्कूल से घर की दूरी) को प्राथमिकता दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह नीति सिर्फ 298 स्कूलों के लिए ही क्यों। स्कूलों ने कहा कि यदि सरकार को प्रदूषण, यातायात जाम और बढ़ते अपराध की चिंता है तो दिल्ली के सभी स्कूलों में नेबरहुड की नीति को लागू क्यों नहीं करते। स्कूलों ने यह दलील सरकार के उस दलील के विरोध में दिया है जिसमें कहा गया था कि राजधानी में तेजी से बढ़ रहे बाल शोषण के मामले, यातायात जाम और प्रदूषण को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया कि बच्चों का दाखिला घर के पास के स्कूलों हो।
संस्थान व शिक्षा की गुणवत्ता जरूरी
स्कूलों ने कहा कि नेबरहुड नीति के आधार पर दाखिला देने से संस्थान की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि किसी संस्थान को प्रतिष्ठा पाने में काफी मेहनत और वक्त लगता है। ऐसे में दाखिले के लिए बच्चों का चयन करना स्कूलों को आजादी मिलनी चाहिए।