भोपाल। सालों से अपनी कॉलोनियों को वैध कराने की कोशिश में लगे लोगों को अब विकास राशि का महज 20 प्रतिशत ही चुकाना होगा। इस राशि में भी वे विधायक या सांसद निधि से सहयोग लिया जा सकता है । यही नहीं, अब विकास राशिकी लिस्ट में से पानी सप्लाई,बिजली और सीवेज को बाहर कर दिया गया है। इससे 150 रुपए प्रतिवर्ग फीट की विकास राशि महज 60 रुपए ही रह जाएगी ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए बने नए नियमों को मंजूरी दे दी है। उन्होंने जबलपुर में बुधवार को आयोजित नगरोदय अभियान के समापन सम्मेलन में भी इसका ऐलान किया। अब प्रदेश की 2500 से ज्यादा कॉलोनिया को नियमितकरण करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी । हालांकि यह कॉलोनियां 31 दिसंबर 2012 से पहले की होनी चाहिए।
साल 1998 में पहली बार अवैध कॉलोनियों की लिस्ट तैयार की गई थी। तब से हर विधानसभा चुनाव में सरकारें नियमतिकरण के वादे करती आ रही है लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते एक भी कॉलोनी वैध नहीं हो पाई । 2013 के विधानसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले कैबिनेट ने अवैध कॉलोनी के नए नियमों पर मुहर लगाई थी। इस नियम के तहत सर्वे भी हुए, लेकिन बात विकास राशि पर अटक गई।
दरअसल एक-एक व्यक्ति के हिस्से विकास शुल्क और कंपाउडिंग शुल्क की भारी राशि आ रही थी। चूंकि सरकार नया कंपाउडिंग शुल्क जारी कर चुकी है इसलिए अब दूसरी दिक्कत विकास राशि के लिए नए मप्र नगरपालिका कॉलोनाइजर्स का रजिस्ट्रेकरण नियम में बदलाव का प्रस्ताव बनाया गया है।
सभी को रियायत नहीं – ऐसी कॉलोनियों जिनमें 70 प्रतिशत से ज्यादा प्लॉट एक हजार वर्गफीट से कम आकार वाले हैं,उनको ही 20 प्रतिशत विकास राशि देने की छूट मिलेगी। बाकी कॉलोनियों में पहले की तरह ही 50 प्रतिशत रकम रहवासियों को चुकानी होगी।
अभी तक यह होता था – अभी तक विकास राशि की गणना में सड़क,पानी,सीवेज,नाली, बिजली समेत 13 चीजें जोड़ी जाती थीं। इससे कॉलोनी की कुल विकास राशि 150 रुपए प्रति वर्गफीट तक आती थी। यानी यदि किसी के पास 500 वर्गफीट का प्लॉट है तो उसकी विकास राशि 75 हजार रुपए होती थी। इसकी 50 प्रतिशत रकम यानी 37500 रुपए लोगों को नगर निगम को चुकाने होते थे।
अब यह होगा – अब बिजली,पानी व सीवेज की गणना न होने से यह रकम 60 रुपए प्रति वर्गफीट रह जाएगी। 500 वर्गफीट के प्लॉट में 30 हजार रुपए की विकास राशि होगी। अब कुल विकास राशि का 20 प्रतिशत यानी महज 12 हजार रुपए लोगों को देना होगा।
अभी भी यह दिक्कत बरकरार – सार्वजनिक सुविधाओं के लिए आवश्यक 10 प्रतिशत खुली जमीन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में कलेक्टर गाइडलाइन मूल्य के डेढ़ गुना राशि ली जाएगी।यदि किसी कॉलोनी में कुछ हिस्सा सरकारी जमीन का है तो पूरी कॉलोनी को ही वैध नहीं किया जा सकेगा।
वैध कॉलोनी के फायदे – अवैध कॉलोनियों के वैध होने से इनमें विकास का रास्ता खुल जाएगा। यहां बड़ी मात्रा में केंद्र और राज्य सरकार का फंड आएगा। लोगों को बिल्डिंग परमिशन, होम लोन और नामांतरण आदि में दिक्कत नहीं आएगी।