खरगोन/भगवानपुरा। विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव/इसहाक पठान। विकसित प्रदेश का ढिंढोरा पीटने वाली सरकारें शहर से कभी ग्रामीण क्षेत्र में झांककर नहीं देख सकी। खरगोन जिले के कई पिछड़े गांवों में से एक गांव है वड़िया। भगवानपुरा जनपद अंतर्गत गोपालपुरा पंचायत का हिस्सा वड़िया आज भी पिछड़ेपन की जिंदगी जीने को बेबस है। पिछले 70 सालों में कोई 700 आवेदन दिए। नतीजा सिफर रहा।
यहां न पर्याप्त बिजली है और ना सड़क। अस्पताल का सपना कोसों दूर है। हालात इतने विषम रहे कि यहां कभी अंधेरे, तो कभी टापू में तब्दील हुए गांव के लोग अपने परिजनों को खो चुके है।
ट्यूब से करते है कुंदा पार
जिला मुख्यालय से कोई 43 किमी दूर वड़िया गांव की आबादी 1800 है। लगभग 500 परिवार अतिगरीब श्रेणी में है। सरपंच लालू जाधव ने बताया कि गांव के पास से कुंदा नदी का प्रवाह है। बारिश में यह बाढ़ में बदल जाती है। अधिकांश महीने ट्यूब से नदी को पार कर समीपस्थ ग्राम पीपलझोपा तक पहुंचते हैं। यहां का आवागमन पैदल है। कंटीलें सफर में चलना दूभर होता है।
कुछ लोग 3 किमी का चक्कर लगाकर नदी पार करते है। यहां नदी उथली होने से वाहन का उपयोग हो जाता है। कुछ वर्ष पहले कलसिंह प्रेमजी की तबीयत बिगड़ी। नदी में बाढ़ होने के कारण उनका इलाज नहीं हो पाया। कलसिंह नहीं बचे। यही हाल कालीबाई कनसिंह की रहा।
गर्भावस्था की स्थिति और भारी बारिश के बीच नदी पार नहीं कर सके। असमय कालीबाई काल की ग्रास बन गई। यहां कई लोग बाढ़ में बहे, जिन्हें बमुश्किल बचाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि पीपलझोपा से यदि 4 किमी का रास्ता बन जाए तो आवागमन सुगम होगा। यहां माध्यमिक तक की कक्षाएं संचालित होती है। शौचालय निर्माण करवाए गए, परंतु आज भी आदिवासी ग्रामीण इनका उपयोग नहीं करते।