महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पहली बार फर्जी सहकारिता संस्थाओं (कोऑपरेटिव यूनियन्स) पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है. राज्य की 72 हजार सहकारी संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है. इन संस्थाओं पर कई तरह के 12 मानदंडों के आधार पर कार्रवाई की गई है. महाराष्ट्र में कुल दो लाख 38 हजार पंजीकृत सहकारी संस्थाएं हैं.
इसके पहले के सरकार के दौरान फर्जी सहकारी संस्थाओं के मनमाने कामकाज को लेकर कभी भी दखल देने का प्रयास नहीं किया गया. पूर्व सहकारिता मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी परिषद का अध्यक्ष पद भरने में रूचि नहीं दिखाई. दरअसल वे अपने सामने किसी को भी नहीं चाहते थे, इसका परिणाम यह हुआ कि सहकारी संस्थाओं की ”मनमर्जियों” पर लगाम लगाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो पाए.
इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां चटका लगायें