सरकारी जमीन पर बने अल्पसंख्यक स्कूलों को भी केजरीवाल सरकार की ओर से नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए जारी दिशा-निर्देश नहीं भाया। अल्पसंख्यक स्कूलों ने भी दाखिले के लिए जारी इस दिशा-निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
जस्टिस मनमोहन ने इस मामले में केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी कर 19 जनवरी तक जवाब देने को कहा है। हालांकि उन्होंने अल्पसंख्यक स्कूलों की उस मांग को फिलहाल ठुकरा दिया है जिसमें याचिका का निपटारा होने तक दाखिला नीति पर रोक लगाने की मांग की थी। समरविले और माउंट कार्मेल स्कूल ने दाखिला नीति को लागू करने के लिए 7 जनवरी को सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
सरकारी जमीन पर बने इन स्कूलों ने कहा है कि उनके उपर भूमि आवंटन शर्तें लागू नहीं होती है। स्कूलों की ओर से अधिवक्ता रोमी चाको ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व के दो फैसले का हवाला दिया है। स्कूलों ने पारामती एजूकेशनल एवं कल्चरल बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि उनके उपर भूमि आवंटन की शर्तें नहीं थोपी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में कहा था कि शिक्षा का अधिकार कानून अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं होता है। हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त स्थाई अधिवक्ता गौतम नारायण ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में भूमि आवंटन की शर्तों के बारे में जिक्र नहीं किया है। इसके साथ ही उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि अल्पसंख्यक स्कूलों को अपने समुदाय के बच्चों को अपनी मर्जी से दाखिला देने की छूट दी है। लेकिन दूसरे समुदाय के बच्चों को दाखिला देने में सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश का पालन करना होगा।
क्या है अल्पसंख्यक स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश
स्कूल अपने समुदाय के बच्चों को दाखिला देने के लिए अपनी मर्जी से दिशा-निर्देश बना सकते हैं। दूसरे समुदाय के बच्चों को दाखिला देने के लिए सरकार द्वारा जारी शर्तों का पालन करना होगा।