ढाई साल पहले पुणे के मोहसिन शेख हत्याकांड में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गिरफ्तार 21 में से तीन आरोपियों को जमानत दे दी। 12 जनवरी को दिए गए आदेश में जस्टिस मृदुला भटकर ने माना, "मृतक की एकमात्र गलती यह थी कि वह दूसरे धर्म से था। मैं मानती हूं कि बात आरोपियों के पक्ष में जाती है। आरोपियों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। ऐसा लगता है कि धर्म के नाम पर उन्हें उकसाया गया और उन्होंने हत्या कर दी।" मोहसिन का परिवार जमानत आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार भी जमानत को चुनौती दे सकती है। अभी तक 21 में से 14 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। चार दिन पहले जस्टिस भटकर ने विजय राजेंद्र गंभीरे, गणेश उर्फ रंजीत शंकर यादव और अजय दिलीप लालगे को जमानत देते हुए कहा कि हमले की घटना से पहले आरोपियों ने मीटिंग की। मारे गए बेगुनाह मोहसिन से उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी और ना ही उनकी ऐसी मंशा थी।
कोर्ट ने कहा, "धनंजय देसाई मीटिंग में बोला था और उसने श्रोताओं को उकसाया। धनंजय देसाई के भाषण की बातें यह दिखाने को पर्याप्त है कि उसने धार्मिक भेदभाव के आधार पर भड़काया। हमले से पहले यह मीटिंग हुई थी।" मोहसिन के पिता सादिक शेख कोर्ट के इस फैसले से चकित रह गए। उन्होंने कहा, "हाईकोर्ट ने जिस आधार पर आरोपियों को जमानत दी है हम उससे संतुष्ट नहीं हैं। क्या किसी दूसरे धर्म के बेगुनाह शख्स की हत्या के लिए भडकाऊ भाषण की अनुमति है? तीन आरोपी हत्या वाली जगह से गिरफ्तार किए गए थे।" पांच मार्च 2015 को हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी देसाई की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके वकील संजय पुनालेकर ने कहा कि उन्होंने जमानत के लिए नई याचिका दाखिल की है। इसके साथ ही देसाई को बरी करने की अर्जी भी दी गई है। इस पर एक फरवरी को सुनवाई होगी।
मोहसिन पुणे की एक कंपनी में काम करता था। दो जून 2014 की रात को नमाज के बाद वह घर जा रहा था उस समय उस पर हमला हुआ। उसका दोस्त रियाज अहमद मुबारक भी साथ था। आरोप है कि हिंदू राष्ट्र सेना के सदस्यों ने छत्रपति शिवाजी और बाल ठाकरे की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट किए जाने पर उन पर हमला किया। हडपसर थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया और हिंदू राष्ट्र सेना के नेता धनंजय जयराम देसाई उर्फ भाई सहित 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया।