नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने के रास्ते में आज एक और रुकावट खड़ी होती दिखी. राज्यों ने समुद्री क्षेत्र में होने वाली बिक्री पर भी कर लगाने का अधिकार मांगा है. इसके अलावा अब राज्य उनके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए पहले से ज्यादा वस्तुओं पर उपकर लगाने की बात कर रहे हैं. राज्यों का मानना है कि नोटबंदी के बाद उनका राजस्व नुकसान बढकर 90,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. शुरुआत में राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए 55,000 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति कोष बनाने का प्रस्ताव किया गया था. इसके लिए तंबाकू, सिगरेट जैसे कुछ हानिकारक उत्पादों और भोग विलास वस्तुओं पर उपकर लगाने का प्रस्ताव था. लेकिन नोटबंदी के बाद यह माना जा रहा है कि क्षतिपूर्ति के लिए 90,000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ सकती है.
नोटबंदी की वजह से राज्यों का राजस्व 40 प्रतिशत तक कम होने की आशंका है. गैर-भाजपा शासित राज्यों ने यह दावा किया है. तटवर्ती राज्यों ने 12 समुद्री मील के दायरे में होने वाले व्यापार पर जीएसटी लगाने का अधिकार मांगा है. उनकी इस मांग से एकीकृत जीएसटी लगाने वाले विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. एकीकृत जीएसटी अंतरराज्यीय व्यापार पर लागू होगा. जीएसटी के मामले में सर्वाधिकार संपन्न जीएसटी परिषद की आज आठवीं बैठक में तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन वाले केरल और कांग्रेस शासित कर्नाटक राज्य ने 12 समुद्री मील के दायरे को राज्यों की परिभाषा में शामिल करने की मांग रखी. परिषद के चेयरमैन और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों की इस मांग की संवैधानिक वैद्यता की जांच-परख करने को लेकर सहमति जतायी.