खदान में 20 वोलबो, एक डोजर, छह पोकलेन वोलबो, एक बोलेरो भी धंसा हुआ है. आशंक़ा जतायी जा रही है कि खदान में दबे सभी मजदूराें की मौत हो चुकी है. एनडीआरआफ की रांची और पटना से पहुंचीें टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि बचाय कार्य जारी है और घटना की जांच शुरू कर दी गयी है. पीयूष गोयल ने हादसे के बाद कल रात गोड्डा के उपायुक्त से घटना की जानकारी ली.
ECL के ललमटिया स्थित भोड़ाय साइट में खदान धंसने की घटन गुरुवार को रात करीब 8 बजे हुई. खान घंसने से करीब 300 फीट नीचे मजदूर और वाहन दब गये. कोहरे और ठंड के कारण राहत कार्य व्यापक पैमाने पर शुरू नहीं हो सका. स्थानीय स्तर पर राहत कार्य शुरू किया गया था. एनडीआरएफ की टीम आज पहुंची. उसके बाद राहत और बचाव कार्य में तेजी आयी.
ललमटिया खदान हादसा : पीएम मोदी ने सीएम रघुवर दास से ली जानकारी, मुआवजे का एलान
हादसे के बाद से ही अासपास के इलाकों में हाहाकार मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जुट गये. इसीएल के सभी पदाधिकारी व एसडीपीओ आर मिश्रा के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल खदान के पास पहुंचा. हालांकि बिजली के सारे खंभे जमींदोज हो गये हैं. इससे बिजली कट गयी है और बचाव कार्य शुरू करने में बाधा आयी.
खदान में दबे कुछ मजदूर और कर्ममचारी दूसरे राज्यों के भी हैं, जबकि ज्यादातर मजदूर आसपास के भादो टोला, भोराईं, नीमा व ललभुटवा आदि गांव के बताये जा रहे हैं. इस खदान को इसीएल ने महालक्ष्मी खनन कंपनी को लीज पर दे रखा है, उत्खनन और परिवहन में लगे उपकरण सुखदेव एंड कंपनी की बतायी जाती है.
हादसे के वक्त हो रहा था उत्खनन
गुरुवार को काम के दौरान ही अचानक ही खदान धंस गयी और पल भर में 300 फीट गहरी खदान समतल मैदान में तब्दील हो गयी, जिसके नीचे वहां काम कर रहे मजदूर और कर्मचारी के साथ गाड़ियां भी जमींदोज हो गयीं. घटना से कर्मचारियों और मजदूरों के परिजनों में आक्रोश है. कल रात एक ओवर मैन हेमनारायण यादव को जख्मी हालत में वहां से निकाला गया था. उसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था. केंदुआ गांव रहने वाले वाहन चालक शहादत अंसारी ने फोन पर बताया कि खदान में जहां मलवा गिरा, वहां 300 फीट गहरी खायी है.
पहले भी हो चुकी है दुर्घटना
करीब छह माह पहले भी इसी खदान में एक ड्रील मशीन डूब गयी थी. कंपनी ने उस घटना से सबक नहीं लिया और पूर्व की तरह काम चालू रखा. घटना के बाद से वहां के मजदूर आक्रोशित हैं.
10 साल पुरानी थी भोड़ाय साइट
इसीएल राजमहल परियोजना की ललमटिया की भोड़ाय साइट में पिछले 10 सालाें से खुदाई का काम चल रहा था. इस कारण इसे डीप माइनिंग के नाम से जाना जाता है. खदान में पहले ही काफी खनन कार्य हो चुका था. चारों ओर से खदान धंसने लगी थी. बता दें कि तीन दिन पहले इसीएल के सीएमडी आरआर मिश्रा राजमहल परियोजना को निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने भोड़ाय साइट का भी निरीक्षण किया था. यहां से अधिक उत्खनन का निर्देश दिया था. साथ ही भोड़ाय गांव को भी हटाने का निर्देश दिया था. इधर, प्रबंधन तेजी से खनन कार्य में जुटा ही था कि खदान धंस गयी.