वर्दी सुलगाकर थाली में दाल-सब्जी करते हैं फ्राई

रायपुर, ब्यूरो। सेंट्रल जेल का खाना फिर से खराब बनने लगा है। भात के नाम पर लेई और पानी जैसी दाल परोसी जाती है। सब्जी भी स्वादहीन मिलती है। खाने को टेस्टी बनाने का जुगाड़ बंदियों के पास है। हाथ-पैर में लगाने के लिए सरसों तेल मिलता है, उससे दाल और सब्जी को फ्राई करते हैं।


आग जलाने के लिए कील को फर्श पर रगड़ने पर निकलने वाली चिंगारी से वर्दी को सुलगाते हैं। इसके बाद पेपर और प्लास्टिक की बाल्टी या बोतल को जलाकर ईंट का चूल्हा बना लेते हैं। कड़ाही की जगह थाली का उपयोग कर खाने को तड़का लगाते हैं। यह काम चोरी-छिपे किया जाता है। पकड़े गए तो जेल अफसरों की मार खानी पड़ती है।


जेल से बाहर आए बंदी ने बताया है कि पिछले महीने खराब खाना और दूसरी कई अव्यवस्था को लेकर बंदियों ने हड़ताल की थी। कलेक्टर और जेल प्रशासन के आश्वासन के बाद एक हफ्ते खाना ठीक मिला। जिन बंदियों ने अव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई थी, उन्हें प्रदेश की दूसरी जेलों में शिफ्ट कर दिया गया। अब बंदी ने बताया कि खराब खाने के कारण फिर से असंतोष पनप रहा है, लेकिन बचे हुए बंदी एकजुट होकर जेल प्रशासन पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं। बंदी ने बताया कि उसे सब्जी में कई बार कीड़ा मिला।

 

दाल-सब्जी को फ्राई करने के लिए घर से चना-मुर्रा के साथ जीरा मंगा लिया जाता है। रोज सुबह नाश्ते में छनहन पेज (टुकड़ा चावल को घोटकर पकाया जाता है) दिया जाता है। बंदियों की यह भी शिकायत है कि दूसरे टाइम का खाना शाम चार बजे दिया जाता है। पांच बजे तक खाना नहीं खाया तो वापस ले लिया जाता है। जल्दी खाने के कारण रात को भूख लगने लगती है।

 

नाली के पानी से गोबर लिपाई, खुजली हो रही

 

 

बंदी के मुताबिक बैरक के बाहर नाली के पानी से गोबर की लिपाई होती है। जब हवा बैरक की तरफ होती है तो बदबू भर जाती है। इसी कारण बंदियों को खुजली हो रही है। खुजली का कारण पुराने कम्बल भी हैं।

 


डेढ़ घंटे खुलता है नल, 180 रहते हैं कतार में


बंदी ने बताया कि उसे बड़ी गोल में रखा गया था। यहां एक नल में 180 बंदियों की रोज सुबह लाइन लगती है। पानी केवल डेढ़ घंटे आता है। इतनी देर में शौच से लेकर मुंह धोने, नहाने कपड़ा धोने और पीने के लिए पानी भरना होता है। इस कारण बंदी रोज नहा नहीं पाते हैं। इन्हें साबुन, ब्रूश, टूथपेस्ट भी नहीं मिलता। बंदी ने बताया कि वह जेल पहुंचा तो दो-चार दिन तो व्यवस्था ही नहीं समझ पाया। हर नए बंदी को पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ता है, क्योंकि पुराने बंदियों की अलग दादागिरी होती है।


गायकवाड़ से खुश थे बंदी

 

नईदुनिया को बंदी ने बताया कि पूर्व जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड़ के कार्यकाल में बंदी खुश थे। हर सोमवार को परेड में गायकवाड़ बंदियों से मिलते और उनसे बात करते थे। जिन समस्याओं को दूर किया जा सकता था, उसे निराकरण का तत्काल निर्देश देते थे। बंदी का कहना है कि जबसे जेल की कमांड फिर से डीआईजी केके गुप्ता के पास आई है, तब से बंदियों की समस्या नहीं सुनी जा रही है।


सीधी बात- केके गुप्ता डीआईजी, जेल


0 जेल से जमानत पर बाहर आए एक बंदी का कहना है कि खाना खराब मिल रहा है?

– नहीं ऐसा नहीं है। पिछले पांच-छह माह से शिकायत थी। अभी बंदियों के लिए अच्छा खाना पक रहा है।

0 खाना अच्छा बनता है तो क्यों बंदी चोरी-छिपे बैरकों में ही दाल और सब्जी को फ्राई करते हैं?

– ये पहले होता था। अब तो सब बंद हो गया है। बंदी झूठ बोल रहा है।

0 यह खुलासा हुआ है कि प्रहरी 20 फीसदी कमीशन में नकद से लेकर प्रतिबंधित चीजें बंदियों तक पहुंचाते हैं, क्या ऐसा है?

– एक माह पहले तक यह शिकायत बहुत थी। बिगड़ गया था पूरा माहौल। अब धीरे-धीरे सब कंट्रोल हो रहा है।

0 बंदी का यह भी कहना है कि गायकवाड़ साहब बंदियों की शिकायत सुनते थे, गुप्ता साहब नहीं, ऐसा क्यों?

– तभी तो गायकवाड़ के समय माहौल बिगड़ गया था।

0 तो आपका क्या कहना है कि बंदी का आरोप और शिकायत सब झूठे हैं?

– अपराधी की बात का क्या भरोसा? बाहर है तो झूठ बोल रहा है। जेल में आएगा तो सच बोलने लगेगा।

 

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