नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआइ ने अपने 7,016 करोड़ रुपये के एनपीए को राइट ऑफ कर दिया है. इसमें भगोड़ा घोषित हो चुके शराब करोबारी विजय माल्या का 1,201 रुपये का लोन भी शामिल है. बता दें कि विजय माल्या एसबीआइ के नेतृत्व वाले सत्रह बैंकों के कंसोर्टियम के नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के डिफॉल्टर हैं और इसी साल मार्च महीने से देश छोड़कर लंदन में हैं.
राइट ऑफ से मतलब है कि एसबीआइ ने यह मान लिया है कि अब वह इस लोन की रिकवरी नहीं कर पाएगा और इसे लोन को बैंकों की ओर से बट्टे खाते में डालना भी कहते हैं. डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआइ की ओर से बट्टे खाते में डाले गये 7,016 करोड़ रुपये टॉप 100 लोन विलफुल डिफाल्टरों पर बाकी कुल राशि का करीब 80 फीसदी है. इस फैसले के बाद माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस समेत 63 कर्जदारों का कर्ज बैंक की बैलेंसशीट से हटा दिया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि बैंक अब इन डिफॉल्टरों से कर्ज वसूलने की कोशिश बंद कर देगा.
रिपोर्ट के मुताबिक जब बैंक बकाया लोन वसूल करने में विफल रहा, तो उसने टॉप 100 विलफुट डिफाल्टरों में से 63 पर बकाया 7,016 करोड़ रुपये का लोन माफ करने का फैसला कर लिया है. एसबीआइ के 63 डिफाल्टरों का पूरा कर्ज डूबा हुआ मान लिया है. यानि राइट ऑफ कर दिया है. जबकि शेष 31 कर्जदारों का लोन आंशिक तौर पर छोड़ा गया है. वहीं छह अन्य कर्जदारों पर बकाया लोन को एनपीए घोषित कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि 30 जून 2016 तक एसबीआइ 48 हजार करोड़ रुपये का बैड लोन राइट ऑफ कर चुका है. हालांकि इसकी तारीख नहीं बताई गयी है.
एसबीआइ ने किंगफिशर एयरलाइंस के करीब 1201 करोड़, केएस ऑयल के 596 करोड़, सूर्या फार्मास्युटिकल के 526
करोड़, जीईटी पावर के 400 करोड़ और साई इंफो सिस्टम के 376 करोड़ रुपये हैं. इन सभी कंपनियों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जा चुका है.