स्वीडन की जनसंख्या अभी एक करोड़ भी नहीं है. रिक्शा, तांगा स्वीडन में चलता नहीं है. इसलिए कार्ड से पेमेंट की व्यवस्था लागू कराने में सरकार को आसानी हो रही है. स्वीडन में बैंक डकैती, सड़कों पर छीना-झपटी में काफी कमी दिखती है, मगर इलेक्ट्रॉनिक फ्राॅड में जबरदस्त तेजी आयी है.
स्वीडिश न्याय मंत्रालय ने जो दस वर्षों के आंकड़े दिये, उसमें एक लाख चालीस हजार इलेक्ट्रॉनिक फ्राॅड के मामले दर्ज किये गये. जिनके पैसे साइबर अपराधियों ने लूटे, उन्हें वापस दिलाने में वहां की सरकार असहाय साबित हो रही है. स्वीडन में 59 फीसदी लोग कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं. इतने ही लोग फ्रांस में, उससे अधिक 61 फीसदी सिंगापुर में, 60 फीसदी नीदरलैंड में, 57 फीसदी कनाडा में, बेल्जियम में 56, और ब्रिटेन में 52 फीसदी लोग कार्ड से भुगतान कर रहे हैं. ये वे देश हैं, जिनकी आबादी साठ लाख से सात करोड़ तक है.
डॉलर के जरिये दुनिया की अर्थव्यवस्था नियंत्रित करनेवाले अमेरिका में 45 फीसदी लोग कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी रूस मात्र चार फीसदी ‘कार्ड मनी’ का इस्तेमाल करता है. दुनिया की सबसे अधिक आबादी और मजबूत अर्थव्यवस्था वाले चीन में 10 फीसदी लोग ही कार्ड से भुगतान कर रहे हैं. जापान में 14 फीसदी लोग कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं.
आठ से चार फीसदी कार्ड से पेमेंट करनेवाले देशों में यूएइ, ताइवान, इटली, दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड, रूस और मैक्सिको शामिल है. दो फीसदी कार्ड से भुगतान ग्रीस, कोलंबिया, भारत, केन्या, थाइलैंड के लोग कर रहे हैं. एक फीसदी डेबिट, क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करनेवाले देशों में मलयेशिया, सऊदी अरब, पेरू व मिस्र का नाम आता है.
वाशिंगटन डीसी स्थित फेडरल रिजर्व ने अनुमान लगाया है कि 2016 के आखिर तक कैशलेस लेन-देन 616.9 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा. 2010 में यह 60 अरब डॉलर था. यह कार्ड करेंसी का श्वेत पक्ष है. अब थोड़ी चर्चा उस स्याह पक्ष की हो जाये. जो अमेरिका अपराध नियंत्रण में सबसे हाइटेक होने का दावा करता है, उसी अमेरिका में सिर्फ 2014 में तीन करोड़ 18 लाख लोगों के कार्ड से जालसाजों ने पैसे निकाल लिये. अमेरिका में क्रेडिट, डेबिट कार्ड फ्राॅड तीन गुना बढ़े हैं, यह वहां की सरकार स्वीकार करती है. साइबर गिरहकटों ने 2014 में सोलह अरब डॉलर उड़ा लिये,और ओबामा सरकार देखती रह गयी.
एसीआइ वर्ल्डवाइड और आइसे ग्रुप ने जून 2014 में जानकारी दी कि यूएइ में सबसे अधिक कार्ड के जरिये फ्राॅड कर लोगों के पैसे निकाले गये.