मधुमक्खियां सिर्फ शहद ही नहीं बनातीं, बल्कि कृषि व बागवानी की फसलों की उत्पादकता में चार चांद भी लगा रही हैं। "मधुसंदेश" नामक पायलट परियोजना से अनार, सेब और प्याज जैसी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है। इसे अब बाकी जगहों पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
परियोजना के नतीजों के मुताबिक पराग वाली फसलों की उत्पादकता में 40 से 80 फीसद तक की वृद्धि हुई है। इससे किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी। मधुमक्खियों की महत्ता का बखान करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके अस्तित्व पर छाये संकट पर गंभीर चिंता जताई है।
यहां रविवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के अवैज्ञानिक प्रयोग ने हमारी परंपरागत खेती के तौर-तरीकों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इससे मधुमक्खियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। फसलों के परागीकरण में अहम भू्मिका निभाने वाली मधुमक्खियों का प्रभाव घटने से फसलों की उत्पादकता कम होने लगी है।
मधुमक्खियों के सफल प्रयोग से पुणे जिले के बारामती और आसपास के अनाज और प्याज के किसानों को भारी लाभ मिल रहा है। अनार के बाग में मधुमक्खियों के बक्से रखने से फसलों में जहां परागीकरण की प्रक्रिया तेज हो गई है, वहीं अधिक फूलों में फल लगने लगे हैं।
अनार के फलों की गुणवत्ता, आकार, सुंदरता और उत्पादकता में 42 से 45 फीसद तक की वृद्धि हुई है। इस तरह के फलों के मूल्य भी बाजार में अच्छे मिल रहे हैं। जबकि प्याज की फसल में 74 से 80 फीसद तक उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
कृषि मंत्रालय के अधीन केवीके बारामती और क्रॉप लाइफ इंडिया ने अब इस अभियान को पूरे महाराष्ट्र में चलाने का फैसला किया है। क्रॉप लाइफ इंडिया के डॉक्टर राजवीर राठी और डॉक्टर विपिन सैनी ने बताया कि मधुमक्खी की सबसे बड़ी आबादी भारत में है। कृषि व बागवानी की कुल 35 फीसद से अधिक फसलें परागीकरण वाली होती हैं, जिसमें मधुमक्खियों के प्रयोग से उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।