बीमारी की दहशत, घरवालों को भेज रहे गांव से बाहर

बड़वानी-खेतिया। जिले के खेतिया क्षेत्र में गत दिनों फैली उल्टी-दस्त की बीमारी के बाद इसके कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। नईदुनिया ने ग्राम मोरतलाई पहुंच स्थिति का जायजा लिया, तो पता चला कि गांव में बीमारी की दहशत से कई परिवारों में महिलाओं व बच्चों को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया गया है। इससे एक ओर जहां गांव सूना-सूना नजर आ रहा है, वहीं स्कूलों में भी छुट्टी जैसी स्थिति हो गई है।

उल्लेखनीय है कि खेतिया क्षेत्र में गत दिनों फैली उल्टी-दस्त की बीमारी के करीब 300 मरीज सामने आए थे। उल्टी-दस्त सहित अन्य बीमारियों से कुल 11 लोगों की मौत भी हुई। इतना ही नहीं पहले ग्राम मोरतलाई में डेंगू को लेकर भी हलचल रही थी। सीएमएचओ डॉ. रजनी डावर खुद टीम के साथ गांव पहुंची थी। इसके बाद इतने बड़े पैमाने पर उल्टी-दस्त होने से ग्रामवासी डरे हुए हैं। ग्राम में करीब 500 घर हैं और करीब आधे घरों से महिलाओं और बच्चों को अन्य गांवों में रिश्तेदारों के यहां भेज दिया गया है। हालांकि फिलहाल बीमारी जैसी कोई स्थिति नहीं है।

स्कूल सूने, स्कूल बस बंद

ग्राम मोरतलाई के प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय में इन दिनों विद्यार्थियों की उपस्थिति बहुत कम हो गई है। ग्राम के कुछ बच्चे खेतिया के निजी स्कूलों में जाते थे, उन स्कूलों की बसें भी गांव आना बंद हो गई हैं। ग्राम के लक्ष्मण गिरधर अहिरे, शांतिलाल दामू सोनिस व रचिता मोतिलाल ने बताया कि क्षेत्र में डेंगू, हैजा व अन्य बीमारियों के चलते परिवारवालों को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। क्षेत्र में शादीशुदा बेटियों के दीपावली पर घर आने की परम्परा है, लेकिन इस वर्ष उन्हें भी आने से रोक दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में जिस ट्यूबवेल से पानी वितरित किया जाता है, उसके आसपास गंदगी है।

सफाई की स्थिति ठीक नहीं

जानकारी अनुसार ग्राम व आसपास 500 शौचालय बने हैं, वहीं 372 शौचालय प्रस्तावित हैं। पूर्व में बने शौचालयों की स्थिति भी ठीक नहीं है। अधिकांश शौचालय अनुपयोगी हैं। वहीं कुछ लोग शौचालय का उपयोग ही नहीं कर रहे हैं। ग्राम के बंजारा टांडा के रहवासी अर्जुन मुन्ना जाधव व रोहिदास राठौड़ ने बताया कि 100 मकानों में से 10 प्रतिशत के यहां भी शौचालय नहीं है। ग्राम के आयुर्वेदिक अस्पताल में पिछले 25 साल से डॉक्टर नहीं है। ग्राम रोजगार सहायक व प्रभारी सचिव गणेश सोलंकी ने बताया कि बीमारी के डर से कुछ लोगों ने परिवार को बाहर भेज दिया है। ग्रामीणों को पानी उबालकर पीने की समझाइश दी जा रही है। फिलहाल गांव में बीमारी जैसी कोई स्थिति नहीं है।

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