मूडीज ने कहा, निवेश को गति देने के लिए पीपीपी मॉडल को विकसित करने की जरूरत

नयी दिल्ली : रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने आज कहा कि देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अधिक निजी निवेश आकर्षित करने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी :पीपीपी: मॉडल को और विकसित किये जाने की जरुरत है. इससे वृद्धि को गति देने में मदद मिलेगी. मूडीज के वीपी :उपाध्यक्ष: तथा वरिष्ठ विलेषक अभिषेक त्यागी ने कहा कि देश में पिछले 20 साल में कुछ क्षेत्रों में पीपीपी व्यवस्था उपयुक्त रुप से सफल रही है लेकिन पिछले चार साल (वित्त वर्ष) से गतिविधियां कम हुई हैं.

उन्होंने कहा कि अगर जोखिम आबंटन में सुधार, बोली दस्तावेज में अप्रत्याशित तत्वों पर फिर से बातचीत की गुंजाइश तथा अन्य मुद्दों के संदर्भ में प्रमुख मुद्दों का समाधान करने के लिये भारत के पीपीपी मसौदे को और विकसित किया जाता है तो इससे लाभ होगा. मूडीज ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2016 और 2017 में अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेजी से वृद्धि करने को तैयार है. हालांकि बुनियादी ढांचे में अपर्याप्त निवेश समेत विभिन्न कारणों से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर बाधित होती रहेगी. रेटिंग एजेंसी के अनुसार ब्रिटेन, कनाडा और आस्ट्रेलिया जैसे देेशों में पीपीपी बाजार अधिक विकसित हैं. ये भुगतान और मांग जोखिम मॉडल तथा सापेक्षिक रुप से मानकीकृत बोली दस्तावेज दोनों का उपयोग करते हैं. इससे भारत में जो बाधाएं हैं, उसका समाधान किया जा सकता है.


मूडीज ने कहा, ‘‘…अधिक विकसित पीपीपी बाजारों में बेहतर रुप से विकसित नियामकीय मसौदा, मानकीकृत परियोजना अनुबंध, एक बडा और प्रगतिशील निवेशक आधार तथा भरोसेमंद परियोजनाएं होती हैं.” एजेंसी ने कहा कि हाल के वर्षों में पीपीपी परियोजनाओं में निजी निवेश में काफी गिरावट आयी है.

इसके कई कारण हैं जिसमें परियोजना मंजूरी में देरी और सरकार द्वारा जमीन की खरीद, जटिल विवाद समाधान प्रणाली शामिल हैं. परियोजना पूरी होने में देरी से लागत बढती है और कंपनियों को आय का नुकसान होता है. इससे कुछ परियोजनाओं की वित्तीय व्यावहार्यता और रिण के भुगतान की क्षमता प्रभावित होती है. कुछ ढांचागत परियोजनाओं के खराब प्रदर्शन से कंपनियों के साथ भारतीय बैंक प्रणाली पर दबाव बढा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *