दवाओं के लिए कच्चे माल की चीन पर बढ़ती निर्भरता खत्म करने की तैयारी

देश में बनी रही एंटीबायोटिक एवं अन्य महत्वपूर्ण दवाओं के लिए करीब 65 फीसदी कच्चा माल चीन से आ रहा है। इस पर चिंता तो लंबे समय से जताई जा रही है लेकिन चीन पर निर्भरता कैसे कम की जाए इसका कोई उपाय सरकार नहीं खोज पाई है। इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़ने के लिए देश के दवा नियंत्रक कार्यालय ने थोक दवा निर्माताओं की बैठक बुलाने का फैसला किया है। बैठक की तिथि तय नहीं है लेकिन इस महीने अंत या अगले महीने के शुरू में हो सकती है।

एंटीबायोटिक, मधुमेह, रक्तचाप, कैंसर आदि की दवाओं के लिए 65 फीसदी कच्चा माल सिर्फ चीन से आ रहा है। जबकि करीब 20 फीसदी यूरोपीय देशों से आता है। भारतीय थोक दवा निर्माता चीन से कच्चा माल इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि वह भारतीय बाजार से चार गुना तक सस्ता है। दूसरे, भारत की तरफ से इस पर आयात पर शुल्क नगण्य है।

दवा नियंत्रक जी. एन. सिंह ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर दवा उत्पादकों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए बैठक बुलाने का फैसला किया है। चीनी समान के खिला मुहिम से नया पेंच-वैसे तो दवाओं के कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी पूर्व में चिंता जता चुके हैं। लेकिन इधर, देश में चीन निर्मित सामानों के विरोध की मुहिम छिड़ने से इसमें नया मोड़ आने की आशंका है। दरअसल, विरोध की यह लहर अगर ज्यादा फैली तो इससे दवा निर्माण भी प्रभावित हो सकता है।

असल चिंता
दवा नियंत्रण कार्यालय के सूत्रों के अनुसार जो कच्ची सामग्री चीन से आ रही है, वह भारत में भी बन सकती है। लेकिन इसके लिए आवश्यक तैयारियां करनी होगी। देश के कई हिस्सों में इसके लिए विशेष पार्क स्थापित करने की योजना है। लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। लेकिन दवा नियंत्रण कार्यालय के अनुसार इससे भी बढ़ी चिंता की बात यह है कि यदि चीनी कच्चा माल बंद कर दिया गया और अन्य देशों या देश में निर्मित कच्चा माल ही लिया गया इससे कीमत में फर्क पड़ने से दवाओं की कीमतों काफी बढ़ सकती हैं।

एसोचैम का सुझाव
इस मुद्दे पर सोमवार को एसोचैम ने भी चिंता जताई है। उसने एक पेपर जारी किया है। साथ ही सरकार को सुझाव दिया है कि चीन से आ रहे सस्ते कच्चे माल पर आयाता शुल्क बढ़ाया जाए। ताकि वहां से आ रहे कच्चे माल और भारत में बन रहे या किसी अन्य देश से आ रहे कच्चे माल की कीमतें समान हो जाएं। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि चीन कच्चे माल पर सबसिडी दे रहा है जिसकी वजह से दाम कम हैं।

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