कार्बन डाई आक्साइड को रोकने की दौड़ में भारत समेत छह देश

ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन डाई आक्साइड (सीओ2) को पर्यावरण के अनुकूल पदार्थ में बदलने की वैश्विक प्रतियोगिता में भारत समेत छह देशों की टीमें अंतिम दौड़ में बची हैं। इस प्रतियोगिता के विजेता को 133.59 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

एक्सप्राइज नाम की इस प्रतियोगिता में नौ जजों के पैनल ने हाल में छह देशों की 27 टीमों के प्रस्तावों को चुना है। चयनित टीमों को अब एक साल का मौका मिलेगा और इस दौरान उन्हें प्रयोगशाला में दिखाना होगा कि वे किस प्रकार जहरीली गैस को पर्यावरण के उपयोगी पदार्थ में बदल सकते हैं।

एक्सप्राइज के वरिष्ठ विज्ञानी पॉल बुंजे ने सोमवार को कहा कि अंतिम चार में पहुंचने वाली चारों टीमों को 33.39 करोड़ रुपये दिया जाएगा। अंतिम छह में भारत के अलावा कनाडा, चीन, स्विट्जरलैंड, स्कॉटलैंड और अमेरिका हैं। ह्यूस्टन की ऊर्जा कंपनी एनआरजी ने कई अन्य समूहों के साथ इस प्रतियोगिता का आयोजन किया है। तीसरे और अंतिम चरण में टीमें व्योमिंग के ताप विद्युत संयंत्र और कनाडा के प्राकृतिक गैस के संयंत्र में अपने प्रस्ताव को हकीकत में साबित करके दिखाएंगी। ठोस प्रस्तावों को आने वाले तीन-चार वर्षों में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की देखरेख में व्यापक पैमाने पर चलाकर उत्पादन किया जाएगा।

सीओ2 से टूथपेस्ट, ग्रैफीन बनाकर दिखाएंगे
प्रतिभागी टीमों ने सीओ2 को टूथपेस्ट, कंक्रीट, स्टील से मजबूत ग्रैफीन, इलेक्ट्रानिक उपकरणों में इस्तेमाल कार्बन नैनो ट्यूब बनाने जैसे प्रस्ताव दिए हैं। मछलियों का खाद्य पदार्थ बनाने तक के प्रस्ताव शामिल हैं। एक प्रस्ताव मछलियों के लिए उच्च प्रोटीन वाला खाद्य उत्पाद बनाने का भी है।

भारतीय टीम के अगुआ सेबेस्टियन पीटर
प्रतियोगिता में शामिल भारत की एकमात्र टीम ‘ब्रीद’ के अगुआ सेबेस्टियन पीटर हैं, जिनका ताल्लुक बेंगलुरु से है। वहीं कनाडा की एक टीम के नेतृत्वकर्ता भारतीय मूल के अपूर्व सिन्हा हैं। जबकि सर्वाधिक 13 टीमें अमेरिका की हैं।

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