राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मोटे लोगों की संख्या पिछले पांच साल में 40 फीसदी बढ़ गई। हरेक छह में से एक महिला और हरेक पांच में से एक पुरुष मोटापे का शिकार है। वर्ष 2011 में कुल मोटापे का आंकड़ा 22.8 फीसदी था। वर्ष 2015-16 में सामान्य से अधिक वजन की समस्या वाले लोग 39.4 प्रतिशत हो गए। यह समस्या आरामतलब जिंदगी की देन है। नेशनल डायबिटिक एंड कोलेस्ट्रॉल रिसर्च केंद्र (एनडॉक) के मोटापे से संबंधित ताजा अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
अध्ययन में बताया गया है कि 17 प्रतिशत बच्चे भी अधिक वजन की समस्या के शिकार हैं। वहीं, महिलाओं में अधिक वजन के कारण अर्थराइटिस की समस्या बढ़ रही है। बढ़ते वजन के बाद भी 70 फीसदी लोग फिक्रमंद नहीं हैं। वह सजग तब होते हैं, जब उनका उच्च रक्तचाप या फिर रक्त में शर्करा की मात्रा अनियंत्रित पाई जाती है। महिलाएं पहले घर के काम में अधिक सक्रिय रहती थीं, लेकिन अब सहूलियत की वजह से वजन और शुगर दोनों का स्तर बढ़ गया है। 59 फीसदी बच्चों के मोटापे के प्रति खुद माता-पिता ही फिक्रमंद नहीं हैं।
एनडॉक के डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया कि मोटापा का सीधा असर हृदय की धमनियों में रक्त का थक्का जमने, अनियंत्रित रक्तचाप और मधुमेह के रूप में दिखता है। फोर्टिस अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. अंशुमान अग्रवाल ने बताया कि मोटापे के 15 फीसदी मामलों में पथरी की संभावना देखी गई है। यह भी देखा गया है कि बढ़ते वजन को लोग उस समय गंभीरता से लेते हैं जब वजन कम करने के लिए सर्जरी ही एक मात्र विकल्प रह जाता है। जबकि विशेषज्ञ बैरिएट्रिक सर्जरी को मोटापा कम करने के लिए सही नहीं मानते हैं।
बच्चों में भी मोटापा बढ़ा
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लैंसेट में छपी इकोनॉमिक कॉरपोरेशन एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट ने भी देश में वर्ष 1998 से वर्ष 2005 तक के बीच में 20 फीसदी मोटापा बढ़ने की बात कही है। जबकि बच्चे भी इस श्रेणी में पीछे नहीं हैं, 14 से 18 साल तक के 17 फीसदी बच्चे उम्र से पहले ही सामान्य वजन से अधिक मोटे हो गए। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत सहित साउथ एशिया के लोगों में कुछ विशेष तरह के जीन पाए जाते हैं, जिससे वह मोटापे और दिल की बीमारियों के लिए यूरोपीय देशों की अपेक्षा अधिक करीब पाए जाते हैं।
थायरॉयड जांच भी जरूरी
नियंत्रित आहार और व्यायाम के बाद भी यदि उम्र और लंबाई से अधिक वजन बढ़ रहा है तो इसकी एक प्रमुख वजह थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना भी बताया गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. सीएस बाल ने बताया कि थायरॉयड का शरीर में अनियंत्रित स्तर महिलाओं में मोटापे का प्रमुख कारण हो सकता है, जिसके अन्य लक्षण तेजी से बाल गिरना, जल्दी थकान होना व भूख की कमी भी है। अक्सर महिलाएं थायरॉयड अनियंत्रित होने के लक्षण को सही समय पर नहीं पहचानती हैं। टीएचएस जांच के लिए वह तब जाती हैं, जब थायरॉयड बढ़ने की वजह से अन्य परेशानियां शुरू हो जाती हैं।
दवाओं से मोटापा कम न करें
वजन कम करने वाले दवाओंमें अधिक मात्रा में स्टेरॉयड हार्मोन्स का प्रयोग किया जाता है। स्टेरॉयड दवाएं अन्य बीमारियों से लड़ने वाले सेल्स को कमजोर कर सकती हैं। इसलिए डॉक्टर पिल्स या फिर वजन कम करने वाली दवाओं को सही नहीं मानते। बैरिएटिक सर्जन डॉ. अतुल पीटर कहते हैं, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार ही मोटापे से बचने का सही तरीका है।