मच्छर जनित रोगों से उलझन भरी लड़ाई– अरविन्द जैन

बरसात के बाद फैलने वाले डेंगू और चिकनगुनिया जैसे मच्छर जनित रोगों से देश को एक उलझन भरी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इन दोनों ही रोगों का इलाज उतना कठिन नहीं है, जितना कि इस पूरी समस्या से निपटना। डॉक्टर लक्षण के आधार पर इनके इलाज की सलाह देते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, डेंगू का पता लगाने का शुरुआती तरीका है एनएस-1 एंटीजन टेस्ट, जो बुखार होने के लगभग पांच दिन बाद रक्त की जांच में पाया जाता है। फिर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट भी होता है, जो भरोसेमंद नहीं है और कई बार यह डेंगू का बेवजह डर पैदा करता है। लेकिन एलीसा व पीसीआर टैस्ट डेंगू का लगभग शत-प्रतिशत आकलन कर देते हैं। यह जांच सीमित बड़ी पैथोलॉजी पर उपलब्ध है, जिसका मूल्य लगभग तीन से चार हजार रुपये है। इससे कम खर्च में एक औसत सामान्य डेंगू मरीज का उपचार कर उसे रोग मुक्त किया जा सकता है।

यही हाल चिकनगुनिया का है। इसके परीक्षण के लिए एलीसा टेस्ट लगभग ग्यारह सौ रुपये का होता है। पैथोलॉजी के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 10 से 15 प्रतिशत रोगियों में यह पॉजिटिव पाया जाता है। चिकनगुनिया के शत-प्रतिशत आकलन के लिए आरएफ-पीसीआर टेस्ट है, जिसकी कीमत लगभग ढाई हजार रुपये है, जबकि इससे कम मूल्य में चिकनगुनिया के रोगी का पूर्ण इलाज किया जा सकता है। यानी इन दोनों ही रोगों का इलाज उनके परीक्षण के मुकाबले कहीं अधिक सस्ता है।

अभी हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने डेंगू उपचार के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार, डेंगू रोगी का घर पर ही उपचार किया जा सकता है। यदि रोगी की दिल की धड़कन व ब्लड प्रेशर सामान्य है, शरीर में कोई रक्त स्राव (ब्लीडिंग) के लक्षण नहीं हैं व प्लेटलेट की संख्या एक लाख से ऊपर है, तो उसे अस्पताल में भर्ती कराने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन हर 24 घंटे के बाद खून की जांच और चिकित्सक से परामर्श जरूरी है। चिकनगुनिया डेंगू जितना खतरनाक भले ही न हो, लेकिन यह रोगी को ज्यादा परेशान करता है। मेडिकल साइंस के अभिलेखों के अनुसार, यह प्राणघातक रोग नहीं है, लेकिन दिल्ली में कुछ मरीजों की इसकी वजह से जान जाने की खबर आई है। मुमकिन है कि यह चिकनगुनिया वायरस में किसी म्युटेशन की वजह से हो या फिर यह कोई और मिलता-जुलता वायरस हो सकता है।

आजकल इंटरनेट व सोशल साइट्स पर इसके कई नुस्खों की काफी चर्चा है- पपीते के पत्ते, बकरी का दूध, कीवी खाने की सलाहें दी जाती हैं। ऐसे इलाज खतरनाक हो सकते हैं। इस रोग से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका अपना बचाव करना ही है। यदि हम थोड़ी सावधानी बरतें, अपने घर व आसपास की स्वच्छता का ध्यान रखें, तो शायद इन रोगों से हमें निजात मिल सकती है। यह सरकार का ही काम नहीं है, हमारी भी जिम्मेदारी है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं

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