सिर पर मैला ढोनेवालों को नहीं मिला रोजगार

रांची : राजधानी में सिर पर मैला ढोने का काम आज भी जारी है. मामले का खुलासा होने के बाद सरकार ने काम में लगे लोगों को रोजगार देने व इसे बंद कराने की बात कही थी. नगर निगम की ओर लोगों को काम व अन्य सुविधा देने के लिए सर्वे भी कराया गया था, लेकिन नगर निगम का प्रयास सर्वे तक ही सिमट कर रह गया.

प्रभात खबर ने 15 अगस्त 2016 के अंक में रांचीस्थित लेक रोड तुलसी नगर के लगभग दो दर्जन परिवार की महिलाआें द्वारा परिवार के पालन-पोषण के लिए सिर पर मैला ढोने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इसके बाद नगर निगम की टीम तुलसी नगर पहुंची थी.


लोगों से बातचीत कर उन्हें रोजगार व अन्य सुविधा देने का आश्वासन दिया था. नगर निगम के सर्वे के लगभग डेढ़ माह बाद भी मोहल्ले के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिली. रविवार को प्रभात खबर की टीम फिर से तुलसी नगर पहुंची. सिर पर मैला ढोने वाली महिलाओं से बात की. महिलाओं ने बताया कि सरकार की ओर से अब तक हमलोगों के लिए कुछ नहीं किया गया. जब भी मामला प्रकाश में आता है, सरकार की टीम सर्वे के लिए पहुंच जाती है, पर कुछ करती नहीं है.

आक्रोशित थीं महिलाएं

महिलाएं आक्रोशित थीं. उनका कहना था कि कोई कुछ नहीं करता. ऊपर से काम छोड़ देने के लिए दबाव डाला जाता है. एक महिला ने बताया कि घर देने के लिए सर्वे हुआ है. लोगों का नाम लिखने के लिए निगम के लोग आये थे. इसमें भी सभी का नाम नहीं लिखा गया. लोगों से घर छोड़ने के लिए कहा जा रहा है. नये घर देने के पहले 35 हजार रुपये देने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में तो लोग बेघर हो जायेंगे.

तब किसने क्या कहा था

नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा था कि सिर पर मैला ढोये जाने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. सरकार शौचालय बनाने के लिए लोगों को मदद देती है. मैंने भी अपने फंड से नगर निगम को 11.96 लाख रुपये दिये हैं. सरकार इसके उन्मूलन के लिए राज्य स्तर पर काम करेगी. वहीं, रांची नगर निगम के आयुक्त प्रशांत कुमार ने कहा था कि राजधानी में सिर पर मैला ढाेये जाने की जानकारी उन्हें नहीं है. अगर ऐसा है, तो मामले की जांच करायेंगे. यह प्रतिबंधित है. ऐसे लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जायेगा.

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