विजयपुर। कलेक्टर पीएल सोलंकी ने आदिवासी बाहुल्य व कुपोषित प्रभावित गांवों में गुटखा (पान मसाला और उसके साथ आने वाली जर्दा पाउच) को प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन शनिवार को विजयपुर के गोलीपुरा गांव में महिला बाल विकास विभाग के अफसरों के सामने ऐसा वाक्या आया जिसे, सुनकर अफसर दंग रह गए। अति कुपोषित बच्ची को एनआरसी में भर्ती कराने गए अफसरों के सामने कुपोषित बच्ची की मां ने रोज 10 गुटखा दिलाने की मांग रख दी। अफसरों के समझाने का महिला पर कोई असर नहीं हुआ और उसने अपनी अति कुपोषित बेटी को एनआरसी में नहीं भेजा। बालिका की हालत बेहद नाजुक है।
गोलीपुरा गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने एक बालिका के अति कुपोषित होने की सूचना दी और कहा कि बच्ची की मां उसे एनआरसी में भर्ती नहीं कराना चाहती। सूचना के बाद सीडीपीओ केसी गोयल, सुपरवाइजर को साथ लेकर गोलीपुरा पहुंचे। गांव में जनवेद आदिवासी की बेटी महेश्वरी की डेढ़ साल की पुत्री अति कुपोषित थी। बच्ची ही हालत इतनी नाजुक थी कि वह बैठ भी नहीं पा रही।
जब सीडीपीओ ने बच्ची को एनआरसी ले जाने की बात की तो, महेश्वरी ने कहा कि वह रोज 10 गुटखा पाउच खाती है। इन पर रोज 150 रुपए खर्च हो जाता है। एनआरसी में उसे कौन गुटखा दिलाएगा? पैसा न होने पर यहां से उधार भी ले लेती हूं।
सीडीपीओ ने गुटखा से कई नुकसान की बात महिला को बताई तो वह बोली कि, मुझे कुछ नहीं पता। अगर मुझे 10 गुटखा पाउच रोज दिलाओगे या फिर 150 रुपए दिए जाएंगे तो ही मैं अपनी बेटी को एनआरसी में भर्ती करवाऊंगी। अफसर समझा-समझा कर हार गए, लेकिन महेश्वरी गुटखा की मांग करती रही और उसने अपनी बेटी को एनआरसी नहीं भेजा।
पड़ोसी जिलों के अफसरों ने संभाला मोर्चा
कुपोषण पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने दूसरे जिलों के डीपीओ व सीडीपीओ की विजयपुर व कराहल में ड्यूटी लगाई है। ग्वालियर, गुना और दतिया से आए 1 डीपीओ और 6 सीडीपीओ को 8 अक्टूबर तक जिले में तैनात किया गया है। यह अफसर कराहल व विजयपुर के कुपोषित प्रभावित गांवों में काम कर कुपोषण पर अंकुश लगाएंगे। शनिवार को गुना व दतिया के सीडीपीओ विशाल आनंद व विवेक विंचुलकर भी गोलीपुरा गए और महेश्वरी आदिवासी को समझाइश दी, लेकिन महिला ने इन अफसरों की भी बात नहीं मानी।
एक दिन चलकर ठप हुई कार्रवाई
यकलेक्टर पीएल सोलंकी ने गांवों में पान मसाला व जर्दा की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध के बाद फूड इंस्पेक्टरों की टीम ने एक दिन तो कार्रवाई की और तीन गांवों से पान मसाला-जर्दा पाउच जब्त भी किए। उसके बाद यह कार्रवाई ठप सी पड़ गई है।
गांवों में अभी भी पान मसाले व जर्दा से मिलकर बनने वाले गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इसे महिलाओं से लेकर बच्चे तक खा रहे हैं। यह गुटखा कुपोषण के सबसे बड़े कारणों में से एक है। क्योंकि आदिवासियों में 80 से 90 फीसदी महिलाएं इसका सेवन करती हैं। इसीलिए ज्यादातर महिलाएं एनीमिक हैं और उनके बच्चे भी कमजोर पैदा हो रहे हैं जो, जल्द ही कुपोषित हो जातेहैं।
इनका कहना है
महेश्वरी को समझाने के सारे प्रयास फेल हो गए। वह मानने तैयार नहीं। वह 10 गुटखा पाउच रोज दिलाने की मांग कर रही है। बच्ची अति कुपोषित है और हालत खराब है। मैंने इस संबंध्ा में रिपोर्ट डीपीओ व एसडीएम को भी दे दी है।
केसी गोयल सीडीपीओ, विजयपुर