भोपाल। ब्यूरो। प्रदेश में इस साल डायरिया के 124 प्रकोप (आउट ब्रेक) सामने आए हैं। इस बीमारी से ढाई महीने में 45 मरीजों की मौत हो चुकी हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया दो-तीन साल में इस साल ज्यादा आउट ब्रेक व मौतें हुई हैं। इसकी बड़ी वजह इस साल बारिश ज्यादा होना भी है। हर जिले में तेज बारिश के चलते पेयजल स्रोतों में गंदा पानी मिल गया।
इससे डायरिया (दस्त) की बीमारी महामारी रूप में फैल गई। इसके सबसे ज्यादा मामले जुलाई में आए थे। इस महीने में डायिरया से 66 आउटब्रेक हुए। इसमें 3682 लोग दस्त की चपेट में आ गए। इसके बाद स्वास्थ्य महकमा जागा और रोकथाम शुरू की, इससे बीमारी ज्यादा नहीं फैल पाई।
इसके बाद अगस्त में 47 आउटब्रेक में 1371 लोग इसकी चपेट में आए। 15 सितंबर तक 11 आउटब्रेक हुए और 342 लोग इस रोग से ग्रसित हो गए। सबसे ज्यादा प्रकोप वाले जिलों में रतलाम, रायसेन, होशंगाबाद, मंडला, नरसिंहपुर, सिंगरौली आदि जिले शामिल हैं।
भोपाल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश भार्गव ने कहा कि अधिकतर लोगों में गंदा पानी पीने से यह बीमारी होती है, इसलिए बारिश में इसके केस बढ़ जाते हैं। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से उन्हें ज्यादा खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में पानी छानकर या उबालकर पीना चाहिए।
साथ ही पीने की पानी में क्लोरीन की दवा डालना चाहिए। भोपाल में हर हफ्ते 1800 मरीज पिछले दो महीने में दस्त रोग के हर हफ्ते 1800 से 2000 मरीज आ रहे थे। सितंबर में यह संख्या लगभग आधी हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने भोपाल में दस्त के मरीजों को डायरिया का आउट ब्रेक नहीं माना है।
अधिकारियों ने कहा कि जब क्षेत्र विशेष में अचानक कई लोग किसी महामारी की चपेट में आते हैं तो उसे ही आउटब्रेक में शामिल किया जाता है।