बंधुआ मजदूरी व यौन शोषण के चलते महिलाओं की तस्करी बढ़ी

केस एकः शादी का झांसा सिंगरौली में 19 वर्षीय युवती को पड़ोसी सुनीता ने कोलकाता में शादी कराने और उसकी चार बहनों व एक भाई को साथ रखने का झांसा दिया। शादी के लिए जिस युवक का परिचय कराया, वह 11 सितंबर को सिंगरौली पहुंचा और लड़की को उसके बहन-भाई सहित एक होटल ले गया। समय रहते लड़की को शक हुआ तो वह पुलिस के पास पहुंची। पुलिस की कार्रवाई में मामला मानव तस्करी का निकला।

केस दोः पिता-पुत्र पकड़े गए अमरावती से तस्करी कर 14 साल की किशोरी को देवास में बेचा गया। वह युवा दिखे, इसके लिए इंजेक्शन दिए गए। चार साल जहां वो बंधक थी, उससे कई लोगों ने दुष्कर्म किया। मामले का खुलासा हुआ तो आरोपी अपने पुत्र और एक महिला दलाल के साथ पकड़ा गया। आरोपी महाराष्ट्र से लड़कियों की तस्करी करते थे।

भोपाल, ब्यूरो। प्रदेश में शौन शोषण के लिए मानव तस्करी के यह दो उदाहरण वो है जो हाल ही में सामने आए। पिछले तीन सालों में प्रदेश में तस्करों के चंगुल से छुड़ाई गई युवतियों-महिलाओं की संख्या तीन हजार से ज्यादा है जो यह बताने के लिए काफी है कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले बड़े स्तर पर सामने आ रहे है। हैरानी की बात यह है कि बंधुआ मजदूर और घरेलू गुलाम रखने की परंपरा से आज भी प्रदेश ऊब नहीं पा रहा है।

2015 प्रदेश में यौन शोषण के लिए तस्करी के 539 मामले सामने आए जो देश में सबसे ज्यादा थे। तीन सालों बंधुआ मजदूरी के लिए झोंकी गई 1714 महिलाओं को छुडवाया गया तो वैश्यावृत्ति के लिए धकेली गई 216 महिलाओं को बचाया गया।

इस दौरान घरेलू गुलाम बनाकर रखी गई महिलाओं युवतियों 114 मामले भी सामने आए। 25 माह में 26 हजार महिलाएं गायब वर्ष 2016 के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के पूछे सवाल में सरकार ने बताया था कि नवंबर 2014 से जनवरी 2016 तक मध्यप्रदेश में महिलाओं के अपहरण, लापता के 26 हजार 997 मामले सामने आ चुके है।

इनमें 6080 महिलाओं की किडनैपिंग हुई जबकि 20630 महिलाएं गायब हुई। हालांकि इनमें से 20813 महिलाओं का पता चल गया। एससी- एसटी ज्यादा शिकार महिलाओं के अपहरण व गायब होने के मामलों में अधिकतर पीड़िताएं अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग से हैं। 26 हजार 997 महिलाओं में से 12 हजार 113 एससी/एसटी, 9537 ओबीसी व 5 हजार 182 मामले सामान्य वर्ग की महिलाओं के आए। वहीं जिन इलाकों में ये वारदात ज्यादा हुई उनमें ग्वालियर-चंबल, इंदौर, भोपाल और जबलपुर शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *