श्योपुर। ब्यूरो। श्योपुर जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में 145 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। इनमें से 52 बच्चे खतरनाक कुपोषण की गिरफ्त में हैं। ये मासूम अगर एनआरसी नहीं लाए जाते तो कुछ दिन या महीने ही सांसें ले पाते। एनआरसी में कुपोषित बच्चों की देख-रेख के लिए नियुक्त डॉक्टरों के अनुसार 52 बच्चों की हालत बेहद खराब है। 52 में से 10 तो ऐसे हैं जिन्हें खून चढ़ाया जा रहा है या फिर ऑक्सीजन पर रखा गया है।
एनआरसी में भर्ती ये बच्चे उन अफसरों और सरकारी आंकड़ों के लिए भी आईना हैं जो, अब तक कुपोषण से मौत होना ही नहीं मान रहे हैं। आंगनबाड़ी बनेंगी डे-केयर सेंटर जिले में इतने कुपोषित बच्चे मिल रहे हैं कि उनके लिए एनआरसी छोटी पड़ रही हैं।
इस समस्या को देखते हुए कलेक्टर पीएल सोलंकी ने शुक्रवार को उन गांवों की आंगनबाड़ी केंद्र को ही डे-केयर सेंटर की तर्ज पर काम करने के आदेश दे दिए, जिन गांवों में 5 से ज्यादा अति कुपोषित बच्चे मिले हैं। कलेक्टर ने बताया कि, ऐसे 26 गांव चिन्हित किए जा चुके हैं।
इन गांवों की आंगनबाड़ी में दिनभर कुपोषित बच्चों को रखा जाएगा। एनआरसी में दिया जाने वाला फूट सप्लीमेंट और इलाज आंगनबाड़ी केंद्र पर ही दिया जाएगा। इसके लिए केंद्र की कार्यकर्ता के साथ ही आशा कार्यकर्ता, ग्राम पंचायत के सचिव और खाना बनाने के लिए एक रसोइए की व्यवस्था की गई है।
पत्नी भाग गई तो…
कुपोषित बच्चों को ढूंढने के बाद भी कई माता-पिता बच्चों को एनआरसी भेजने के लिए तैयार नहीं है। गुरुवार की शाम सेसईपुरा में एक आदिवासी युवक ने यह कहते हुए कुपोषित बच्चे को भेजने से इंकार कर दिया कि उसकी पत्नी श्योपुर जाएगी और वहां से भाग गई तो? यह सुनकर अफसर चकित रह गए। इसके बाद शाम को जाटखेड़ा में तीन कुपोषितों को उनके परिवार ने नहीं भेजा। परिजन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से लड़ गए। इसके बाद पुलिस को मौके पर भेजा गया, पुलिस के धमकाने के बाद भी परिजन ने कुपोषित बच्चों को एनआरसी नहीं भेजा।