रेप से नहीं बच सकती, इसलिए बच्चेदानी निकलवाने को मजबूर हैं महिलाएं

मुंबई। महाराष्ट्र में गन्ने की कटाई के लिए जाने वाली गरीव महिलाएं हर साल बलात्कार का दंश झेलती हैं। खेतों के मालिक, बिचौलिए और दबंग तक सभी उनको अपनी हवस का शिकार बनाते हैं।

परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं ऐसे में महिलाएं शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती हैं। वे हर साल कई-कई बार इस हैवानियत का सामना करती हैं। इस कुचक्र को तोड़ पाने में असफल घर के पुरुष महिलाओं पर दबाव बनाते हैं कि वे अपनी बच्चेदानी निकलवा लें, ताकि वे रेप के बाद गर्भवती न हों।


ऐसी मजदूर महिलाओं की संख्या सैकड़ों में हैं। मुंबई में एसिड एक्शन की रीजनल मैनेजर नीरजा भटनागर बीड जिले में दर्जनों ऐसी महिलाओं से मिल चुकीं हैं। वह कहती हैं कि इससे ज्यादा क्रूर मानवाधिकार उल्लंघन नहीं हो सकता। महिलाओं को अपना गर्भाशय इसलिए निकलवा पड़ता है, ताकि वे उस अर्थव्यस्था का हिस्सा बन सकें, जिसे उनकी जरा भी परवाह नहीं है।

ये लोग अमानवीय से भी बदतर हालातों में रहते हैं। फूस की झोपड़ियों में बिना पानी, बिजली के रहते हैं। सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक लगातार काम करते हैं। मजदूरों को जोड़ों में रखा जाता है। ज्यादातर मजदूरों के सिर पर खेत मालिकों से लिया गया कर्ज है।


छह से आठ महीने तक काम करने के बाद भी साहूकार कहता है कि अभी कर्ज बाकी है, इसलिए अगले सीजन फिर आना होगा। यह बंधुआ मजदूरी का सबसे खराब रूप है, जिसका सबसे ज्यादा त्रास महिलाओं को ही सहना होता है। उन्हें पता है कि उनके साथ क्या होगा, फिर भी पेट भरने के लिए काम के साथ ही वे रेप भी झेलती हैं।

– See more at: http://naidunia.jagran.com/state/maharashtra-women-can-not-avoied-sexual-abuse-in-maharashtra-forced-to-remove-uterus-809401#sthash.deivYj4B.dpuf

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *