बामौरकलां(शिवपुरी)। मुख्यालय से 150 किमी दूर खनियांधाना विकासखंड के आदिवासी बाहुल्य खिसलौनी गांव के वीरसिंह आदिवासी की महज ढाई साल की बेटी चांदनी जन्म से ही कुपोषण से ग्रसित है। बावजूद इसके महिला बाल विकास से लेकर कुपोषण मिटाने के अभियान से जुड़े किसी एनजीओ ने इस लाड़ली की सुध नहीं ली।
अस्पताल लाने से पहले गर्भवती मां ने तोड़ा दम : चांदनी को जन्म देने वाली उसकी मां वीरवती को प्रसव पीड़ा के बाद उसका पति वीरसिंह 6 घंटे की दूरगामी 15 किमी की यात्रा के बाद बामौरकलां के अस्पताल में पहुंचा, लेकिन तब तक एनीमिया से पीड़ित वीरवती ने दम तो़ड़ दिया।
नईदुनिया से बीएमओ डॉ. साकेत सक्सैना ने कहा कि विभाग कुपोषित बच्ची को एनआरसी में भर्ती करने को लेकर कई बार परिजनों से संपर्क साध चुके हैं, लेकिन परिजन इसके लिए तैयार नहीं हैं।