वेमुला की जाति के मामले में आयोग की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित :जेएसी

हैदराबाद : रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय की ज्वाइंट एक्शन कमेटी फॉर सोशल जस्टिस ने आज कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव पोडिले और अन्य लोगों के खिलाफ मामले को कमजोर करने के मकसद से रिपोर्ट में ऐसे नतीजों पर पहुंचा गया है.

जेएसी ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘खबरों से पता चला है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग ने घोषित किया है कि रोहित वेमुला दलित नहीं था. इस तरह के निष्कर्ष को देखना हैरान करने वाला है क्योंकि जाति संबंधित दावों की घोषणा करने या उनका सत्यापन करने वाले सक्षम अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट ने रोहित को हिंदू अनुसूचित जाति-माला से संबंधित घोषित किया है.” विज्ञप्ति में कहा गया है कि वेमुला को गैर-दलित कहना ‘राजनीति से प्रेरित’ निष्कर्ष है और तय प्रक्रियाओं पर आधारित नहीं है.

जेएसी ने कहा, ‘‘गुंटूर के जिला मजिस्ट्रेट पहले ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को रिपोर्ट जमा कर चुके हैं जिसमें रोहित वेमुला को हिंदू अनुसूचित जाति-माला से संबंधित घोषित किया गया.” इसमें कहा गया है कि आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट को मंजूर किया.

जेएसी के मुताबिक, ‘‘इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग की रोहित वेमुला पर टिप्पणी पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और कुलपति राव तथा अन्य लोगों के खिलाफ मामले को कमजोर करने के मकसद से की गयी है.” इस तरह की खबरें हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के रुपनवाल के एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रोहित अनुसूचित जाति का नहीं था.

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