नई दिल्ली। केंद्र सरकार उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों को देने की इच्छुक है। उर्वरक में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना को लागू करने के लिए उसने राज्यों से सहयोग मांगा है। सब्सिडी में खाद निर्माताओं का लंबित बिल साफ करने के लिए राज्यों को आवश्यक कागजी कार्य भी पूरा करने को कहा गया है। यह चार हजार करोड़ रुपये का है। मंगलवार को उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने राज्य कृषि सचिवों और आयुक्तों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
उर्वरक मंत्री बोले कि उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कदम उठाने चाहिए। किफायती दरों पर किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य बराबर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, "अगर कोई जमाखोरी या कालाबाजारी कर रहा है तो कौन जिम्मेदार है? भारत सरकार कुछ हद तक जिम्मेदार है, लेकिन आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत राज्यों के पास इनके खिलाफ कार्रवाई करने की शक्तियां हैं। लिहाजा तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।"
प्रायोगिक तौर पर फर्टिलाइजर में डीबीटी के क्रियान्वयन के लिए 16 जिलों की पहचान की गई है। चालू वित्त वर्ष में उर्वरक के लिए सरकार ने करीब 70 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इस वित्त वर्ष के अंत तक सब्सिडी एरियर के करीब 30 हजार करोड़ रुपये रहने के आसार हैं। इससे पहले अनंत कुमार ने भारतीय उर्वरक अनुसंधान परिषद (आइसीएफआर) गठित करने की योजना का एलान किया। उन्होंने राज्यों से गैर-जरूरी उर्वरकों को खरीदने के लिए किसानों को मजबूर करने वाले डीलरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।