मणिपुर में 16 साल तक भूख हड़ताल पर रहने वालीं इरोम शर्मीला के पास उनकी पहचान दिखाने के लिए कोई प्रूफ नहीं है। यानी इरोम के पास कोई भी ऐसी चीज या कागजात नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि वह भारतीय ही हैं। हिंदुस्तान टाइम्स से मिली जानकारी के मुताबिक, इरोम के पास परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन कार्ड), बैंक अकाउंट या फिर वोटर आईडी कार्ड जैसी कोई भी चीज नहीं है। यह बात चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि ये चीजें चुनाव लड़ने के लिए जरूरी हैं और अगर इरोम ने जल्द से जल्द इन चीजों का इंतजाम नहीं किया तो वह चुनाव ही नहीं लड़ पाएंगी। इरोम ने इसी साल 9 अगस्त को भूख हड़ताल खत्म की थी। भूख हड़ताल तोड़ने से पहले उन्होंने साफ कर दिया था कि उन्हें समझ आ गया है कि ऐसे कुछ नहीं होने वाला। उन्होंने कहा था कि वह चुनाव लड़कर मणिपुर को बदलेंगी। वहीं भूख हड़ताल खत्म करने के बाद उन्होंने मणिपुर की मुख्यमंत्री बनने की भी इच्छा जाहिर की थी।
हालांकि, इरोम के साथी उनके लिए कागजों का इंतजाम करने में लग गए हैं। ताकी उन्हें चुनाव में वक्त में कोई दिक्कत ना हो। मणिपुर में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। मणिपुर में फिलहाल इंडियन नेशनल कांग्रेस की सरकार है। ओकराम इबोबी सिंह 2012 में अबतक वहां के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। इरोम किसी पार्टी से चुनाव लड़ेगी या फिर निर्दलीय खड़ीं होगीं यह फिलहाल साफ नहीं है।
42 साल की शर्मीला को ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता है। उनकी यह हड़ताल मणिपुर से आर्मड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA) हटवाने के लिए है। उन 16 सालों के दौरान उन्हें नाक में ट्यूब डालकर खाना खिलाने की कोशिश की जाती थी।