प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने भाषण के दौरान कहा था कि उनकी सरकार ने 70 साल बाद उत्तर प्रदेश के हाथरस के गांव नगला फतेला में बिजली पहुंचाई है। लेकिन अब यह दावा गलत साबित हो रहा है। गांव नगला फतेला के लोगों का कहना है कि उनके गांव में अबतक बिजली नहीं पहुंची है। नंगला में तकरीबन 600 घर हैं जिसमें से 450 में अबतक बिजली नहीं है। वहीं जिन 150 घरों में बिजली है उन्होंने गैरकानूनी ढंग से ट्रांसफॉर्मर से तार जुड़वा रखे हैं ताकि वे अपने ट्यूबवेल चला सकें। गांव के प्रधान योगेश कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि 22 ट्यूबवेल चलाने के लिए दो महीने के लिए 395 रुपए दक्षिण विद्युत वितरण निगम (DVVNL) को दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान पर गांव में रहने वाले उल्लानूर उसमानी ने कहा, ‘शायद प्रधानमंत्री को हमारी हालत के बारे में नहीं पता।’
दिल्ली से 300 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में लगभग 3,500 लोग रहते हैं। इसमें से 900 मतदाता हैं। यह उन 18,457 गांवों में से एक है जहां पीएम ने बिजली पहुंचाने की मुहीम चलाई थी। मई 2017 तक इस काम को पूरा कर लेने का लक्ष्य भी रखा गया है। गांव वालों ने बताया कि उनके गांव में मीटर, तार और खंभे लग चुके हैं लेकिन बिजली अब भी नहीं आई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने पोस्ट की गलत फोटो ? प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान पीएमओ की तरफ से एक फोटो भी पोस्ट की गई थी उसमें कुछ लोग बैठकर टीवी पर पीएम का भाषण सुन रहे थे। लिखा गया था कि वह तस्वीर नंगला फतेला की है। लेकिन गांववाले उस तस्वीर को देखकर चौंक गए। उन्होंने कहा कि वह तस्वीर उनके गांव की नहीं है। वहीं कुछ ने बताया कि तस्वीर बराबर के गांव नंगला सिंधि की हो सकती है जिसे हाल ही में बिजली मिली है।
फोटो के विवाद पर पीआईबी ने बयान जारी करके कहा कि बिजली पहुंचाने से मतलब था कि सभी घरों तक बिजली पहुंच गई है जिसमें बिजली के लिए जरूरी ढांचे की बात की जा रही थी।