जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के वैसे तो तमाम फायदे गिनाये जा रहे हैं लेकिन इससे एक ऐसे फायदे की भी उम्मीद लगाई गयी है जिसका इंतजार आम जनता से लेकर उद्योग जगत सभी कर रहे हैं। यह लाभ है ब्याज दरों में कमी का। कई जानकारों का कहना है कि जीएसटी लागू होने से देश में कारोबार करने की राह जिस तरह से आसान होगी, उससे देश में ब्याज दरों के कम होने की राह भी खुलेगी।
इस क्रम में जानकार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की तरफ से हाल में दी गई टिप्पणियों का उदाहरण दे रहे हैं जिसमें उन्होंने सरकार से जीएसटी लागू करने का अनुरोध किया था। आरबीआइ का मानना है कि भारत में कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान करने से कर्ज को सस्ता करने में मदद मिलेगी। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगले हफ्ते मंगलवार नौ अगस्त, 2016 को पेश होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों के घटने की उम्मीद बढ़ गई है। यह आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन की अंतिम समीक्षा होगी।
वैसे हाल के दिनों में महंगाई की स्थिति को देखते हुए किसी ने भी वैधानिक दरों में अभी कटौती की उम्मीद नहीं लगाई थी लेकिन जीएसटी विधेयक के राज्यसभा से मंजूरी के बाद हालात बदल गये हैं। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद अब निश्चिततौर पर आरबीआइ से लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है। आखिरकार आरबीआइ की तरफ से लगातार कारोबारी लागत घटाने की बात उठाई जा रही थी।
बैंक ने आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 25 आधार अंकों यानी 0.25 फीसद की कमी होने की उम्मीद जताई है। लेकिन जीएसटी लागू होने से ब्याज दरों में कैसे कमी होगी? यह सवाल जब दैनिक जागरण ने प्राइसवाटरहाउस कूपर्स के पार्टनर अमित भगत से पूछा तो उनका कहना है कि जीएसटी लागू होने का सबसे बड़ा फायदा ही यह है कि यह अर्थव्यवस्था पर कारोबार की लागत काफी कम कर देगा।
मसलन, कंपनियों को एक वस्तु को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने में आने वाली लागत कम हो जाएगी। यही नहीं जब मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादों पर मौजूदा 27-28 फीसदी की दर से लगने वाला टैक्स घटकर 18 फीसद रह जाएगा तो इससे महंगाई प्रबंधन में आसानी होगी। जिसका सीधा मतलब यह होगा कि आरबीआइ के लिए ब्याज दरों को घटाना भी आसान होगा।
बताते चलें कि हाल के महीनों में कई बार आरबीआइ गवर्नर की इसलिए निंदा की गई कि उन्होंने कर्ज को सस्ता करने में ज्यादा दरियादिली नहीं दिखाई है। इसके जवाब में वार्षिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए राजन ने यह कहा था कि कारोबार की लागत का बहुत ज्यादा होना भी ब्याज दरों को घटाने की राह में एक बड़ी अड़चन है। देखना है कि जीएसटी लागू होने के बाद आरबीआइ का रवैया क्या रहता है।
कैसे घटेगा ब्याज
जीएसटी में टैक्स की दर घटने और कारोबार की सुगमता से लागत घटेगी तो महंगाई भी कम होगी। इससे आरबीआइ के लिए ब्याज दर घटाना आसान होगा। – अमित भगत, पार्टनर, प्राइसवाटरहाउस कूपर्स