लाखों नवजातों की जान बचा रहे ये ‘मिल्क बैंक’

नई दिल्ली/मुंबई। देश में पहली बार पुणे में मां का दूध संकलित कर जरूरतमंद शिशुओं तक पहुंचाने के लिए फ्लाइंग स्क्वाड की शुरुआत हुई है। विश्व स्तनपान सप्ताह के पहले दिन शुरू हुआ यह स्क्वाड घर-घर जाकर मांओं का दूध एकत्रित करेगा। दरअसल, बीते कुछ समय में देशभर में मांओं का दूध एकत्र करने का चलन बढ़ा है।

कुछ निजी व सरकारी अस्पतालों में ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’ शुरू होने के बाद अब इसके मोबाइल कलेक्शन यूनिट भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे केंद्रों से जहां स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा रही है, वहीं जरूरतमंद शिशुओं को भी मां का दूध मिल रहा है।

स्क्वाड के वाहन में हैं ये सुविधाएं

दूध संकलित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज, विशेष कुर्सियां, बे्रस्ट मिल्क पंप, इन्वर्टर, एसी सुविधा। मांओं से दूध संकलित कर माइनस 20 डिग्री पर डीप फ्रीजर में स्टोर किया जाता है। मिल्क में इंफेक्शन न हो इसके लिए कई जांच की जाती है। इसके बाद वंचित शिशुओं को उपलब्ध कराया जाता है।

ये मांएं दे सकती हैं योगदान

ऐसे बैंक या कलेक्शन यूनिट में वे सभी मांएं योगदान दे सकती हैं, जिन्हें एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी, टीबी या सिफलिस जैसे संक्रमण न हों। इन शिशुओं के लिए है अमृत प्रीमैच्योर (समय से पहले जन्म लेने वाले), कम वजन वाले नवजात, चार सप्ताह से कम उम्र के नवजात, मां को कोई बीमारी होने पर, गोद लिए बच्चे या फिर छोड़े हुए शिशुओं के लिए।

कौन होते हैं प्रीमैच्योर शिशु

37 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले जन्म लेने वाले।

1.5 करोड़ प्रीटर्म शिशु जन्म लेते हैं दुनियाभर में हर साल।

10 लाख शिशु जन्म के दौरान जटिलताओं के चलते दम तोड़ देते हैं।

 

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