टीम नईदुनिया।मध्य प्रदेश में आदर्श ग्राम योजना अपने मकसद में फिलहाल पिछड़ती दिख रही है। कुछ वीआईपी सांसदों के गोद लिए गांवों का हालचाल हमने कल देखा था। आज हम ऐसे कुछ और गांवों का हाल देखेंगे। इनमें से कुछ गांवों के निवासी तो आदर्श ग्राम का तमगा सुनकर अब नाराज भी हो जाते हैं।
यहां इक्का-दुक्का काम को छोड़ दें तो हालत जस की तस है। योजना के क्रियान्वयन में सांसदों की उदासीनता के चलते अधिकारी भी ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं।
आईए, चलते हैं कुछ दिग्गजों के गांव
जावडेकर का पालदेव गांव
सतना जिले के चित्रकूट से लगे पालदेव गांव को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बतौर आदर्श ग्राम चुना है। यह गांव प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख की कर्मस्थली में से रही है। पहले दिन केंद्रीय मंत्री के साथ नेताओं और अफसरों के वाहनों का काफिला देखकर पालदेव के आदिवासियों ने भी सोच लिया कि अब उनके दिन फिरने वाले हैं। इन दिनों स्थिति यह है कि गांव की सड़कें कीचड़ से सनी हैं। बीमार को इलाज के लिए 50 किमी दूर मझगवां स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है। इसी प्रकार बिजली, पानी, शिक्षा समेत सभी प्रकार की समस्याएं आज भी आदर्श गांव का मजाक उड़ा रही हैं। हालांकि आदर्श ग्राम घोषित होने के बाद 25 लाख रुपए साफ-सफाई के लिए खर्च किए गए हैं। कच्ची सड़कों के किनारे नालियां बनाई गईं, जो अब मिट्टी से पटी पड़ी हैं। मुख्य सड़क पर 400 मीटर का डामरीकरण कराया गया था, जो पहली बारिश में ही बह गया।
कमलनाथ का बीसापुर गांव
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, छिंदवाड़ा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के चुने गए गांव बीसापुर कला में विकास आधा-अधूरा है। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर बीसापुर के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बारिश में गांव का हाल बुरा है। दर्जन भर सड़कों का निर्माण शुरूहुआ है, लेकिन यह पूरा कब होगा, किसी को नहीं पता। सांसद के प्रयास से यहां एक निजी बैंक की शाखा जरूर खुली है। एक शाखा पहले से ही थी। ग्रामीणों को इस बात की कोफ्त है कि कागजों में उनके गांव को आदर्श कहा जाता है।
सांगाखेड़ा का शूल ग्रामीणों में यह क्षोभ
होशंगाबाद से बीजेपी सांसद राव उदय प्रताप सिंह के चुने गए गांव सांगाखेड़ा में भी दिखाई देता है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ नहीं बदला, बल्कि समस्याएं बढ़ गई हैं। आदर्श गांव का निवासी कहे जाने पर वे कुछ अंदाज में नाराज होते हैं- इस तरह का मजाक बहुत दिनों से हो रहा है। बारिश में पाइपलाइन से कीचड़युक्त पानी घरों में पहुंच रहा है। गांव के कच्चे रास्तों पर गर्मी में धूल तो बारिश में दलदल रहता है। बरौदा सागर भी बेहाल कुछ ऐसे ही हालात सागर से भाजपा सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के चयनित गांव बरौदा सागर के हैं। बारिश के दौरान घुटनों तक पानी में चलकर गांव में प्रवेश करना पड़ता है। गांव में बिछी पाइपलाइन कई जगह जमीन से बाहर निकल आई है। कनेक्शन भी आधे घरों में हैं। आधा गांव पानी सिर पर ढोता है। ग्रामीणों कहते हैं कि यदि आदर्श गांव ऐसाबनता है तो अब किसी दूसरे गांव का चयन मत करें।
क्या कहते हैं सांसद
कई योजनाओं में विकास कार्य स्वीकृत हो रहे हैं। जल्द ही ये काम शुरूहोंगे। आदर्श गांव के लिए पांच साल का समय है।
-राव उदय प्रताप सिंह, सांसद, होशंगाबाद
यह सही है कि बरौदा सागर में तय समय सीमा में कुछ काम नहीं हो सके हैं। हालांकि स्कूल भवन, पेयजल की व्यवस्था जैसे कई काम हुए हैं। बाकी सभी काम भी करा रहे हैं।
-लक्ष्मीनारायण यादव, सांसद सागर
जावडेकर से सीधी बात सवाल
पालदेव गांव में पिछले दो सालों में पक्की सड़कें तक नहीं बन पाई? जवाब : सड़क का काम लगभग पूरा हो चुका है। सिर्फ 500 मीटर का काम पुलिया निर्माण के चलते रुका है। पुलिया तैयार होते ही सड़क बन जाएगी। सवाल : पालदेव के बीमारों को 50 किमी दूर मझगवां जाना पड़ता है। जवाब : देखिए, प्रत्येक गांव में तो अस्पताल नहीं खोला जा सकता। फिर भी जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गांव में दो प्रशिक्षित आरएमपी तैनात हैं। सवाल : पालदेव के 90 फीसदी युवा बेरोजगार हैं। जवाब : गुप्त गोदावरी को जाने वाली सड़क पर गांव के पास स्थित तालाब को विकसित किया जाएगा। जल्द ही वहां पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया होंगी। दुकानें बनेंगी। इन सबसे ग्रामीण युवाओं को जोड़ा जाएगा। (जैसा प्रकाश जावडेकर के दिल्ली कार्यालय से बताया गया)