फोर्ड कंपनी ने ऐसे बदली दुनिया, श्रमिकों की भी, हमारी भी

मल्‍टीमीडिया डेस्‍क। फोर्ड मोटर कंपनी, 1903 में 12 निवेशकों की मदद से 28,000 डॉलर का निवेश करके एक परिवर्तित कारखाना के रूप में लॉन्च हुई थी। फोर्ड पहली कंपनी थी, जिसने ऑटोमोबाइल का निर्माण व विकास किया था। यह कंपनी मध्यम वर्ग के लोगों के लिए वाहन बनाती थी।

21वीं सदी की शुरूआत में वित्तीय संकट के दौरान यह कंपनी दिवालिया होने की कगार तक पहुंच गई थी, परंतु उसके बाद से वह लाभ के साथ वापस आ गई। यह अमेरिका की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है, जबकि पहले नंबर पर जनरल मोटर्स है।

हफ्ते में पांच दिन आठ घंटे का नियम बनाया

हेनरी फोर्ड ही वह व्‍यवसायी थे, जिन्‍होंने दुनियाभर को हफ्ते में पांच दिन आठ घंटे काम का मॉडल दिया। इसके साथ ही बड़े स्तर पर उत्पादन की असेम्बली लाइन तकनीक को अपनाने का श्रेय भी हेनरी फोर्ड को ही जाता है।

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ब्रिटेन में रॉबर्ट ऑवेन ने एक अभियान शुरु किया, जिसका नारा था ‘आठ घंटे मेहनत, आठ घंटे मनोरंजन, आठ घंटे आराम’। 19वीं सदी की शुरुआत में फोर्ड ने इस बात पर गौर किया और इसे अपनी कंपनी में लागू कर दिया।

कंपनी को होने लगा मुनाफा

दरअसल, 18वीं शताब्दी के अंत में कंपनियां की मशीनें 24 घंटे चलाने की तरफ बढ़ चुकी थी। कम मजदूरी मिलने के कारण लोग हफ्ते के छह दिन, रोजाना 10 से 16 घंटों कर काम कर रहे थे।

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समय सीमा आठ घंटे हो जाने की वजह से दो के बजाय फैक्टरी में तीन शिफ्टों में काम होने लगा। इससे कंपनी की उत्पादकता को भी फायदा मिला। फोर्ड के इस कदम का असर कंपनी को हुए बड़े लाभ के रूप में दिखाई दिया।

औद्योगिक व्‍यवस्‍था की सूरत बदल दी

हेनरी फोर्ड ने 5 जनवरी 1914 को घोषणा की थी कि कर्मचारियों का रोजाना भत्‍ता पांच डॉलर होगा। उस समय कर्मचारियों को ढाई डॉलर से भी कम मिलते थे। इस फैसले से कम तनख्वाह पाने वाले कर्मचारियों के जीवन में सकारात्मक असर पड़ा।

फोर्ड के इस फैसले की चर्चा पूरी दुनिया में हुई। अमेरिकी शहर डेटरॉयट में काम करने के इच्छुक लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। इससे दूसरी कंपनियों पर भी दबाव बना कि वे भी कर्मचारियों के वेतन बढ़ाएं।

हेनरी फोर्ड के इस फैसले ने औद्योगिक व्यवस्था की सूरत हमेशा के लिए बदल दी। हेनरी का मानना था कि श्रमिकों की तनख्वाह भी इतनी होनी चाहिए कि वे भी कार खरीद सकें। वेतन बढ़ने से अमेरिका में मध्यमवर्ग तैयार हुआ।

 

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