यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। हालांकि, एनजीटी ने फैसले में ट्रकों को कुछ समय के लिए राहत प्रदान की है। ट्रिब्यूनल ने दोपहिया समेत सभी वाहनों में प्रेशर हॉर्न लगाने पर भी रोक लगा दी।
एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने आदेश में कहा है कि वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद करने के बाद आरटीओ इस बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए पब्लिक नोटिस जारी करे। साथ ही यातायात पुलिस को इन वाहनों की सूची सौंपे ताकि पुलिस एनजीटी के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कार्रवाई करे।
एनजीटी ने कहा कि तमाम रिपोर्ट में यह सामने आया है कि डीजल वाहनों से होने वाला प्रदूषण घातक है। यह गंभीर मामला है। मामले में अब 20 जुलाई को सुनवाई होगी।
इससे पहले 11 जुलाई को एनजीटी ने दिल्ली सरकार से 10 साल पुराने डीजल वाहन व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद करने का आदेश देने के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने को कहा था। सोमवार को यातायात पुलिस द्वारा कार्रवाई को लेकर दिए गए जवाब से एनजीटी संतुष्ट नहीं हुई।
उप्र, हरियाणा, मप्र को पत्र लिखने का निर्देश
एनजीटी ने भारी उद्योग मंत्रालय को कहा कि वह देश में हाइब्रिड व इलेक्ट्रिक वाहनों के स्टेटस के बारे में हलफनामा दायर कर जानकारी दे। वह यह भी बताए कि जो लोग अपने पुराने वाहनों का निपटारा करना चाहते हैं, उनके लिए उसके पास क्या योजना है।
एनजीटी ने कहा कि मंत्रालय इस बारे में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि सभी राज्यों के सचिवों को एक हफ्ते के भीतर पत्र लिखे