अभियुक्तों की पैरवी नहीं, अदालत की मदद करेंगे न्यायमित्र

नई दिल्ली। निर्भया कांड के नाम से चर्चित वसंतकुंज सामूहिक दुष्कर्म कांड में फांसी की सजा पाए अभियुक्तों की आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमित्र हटेंगे नहीं। कोर्ट ने कहा है कि न्यायमित्र किसी अभियुक्त की पैरवी नहीं करेंगे बल्कि मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद करेंगे।

ये आदेश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में दोषी दो अभियुक्तों की ओर से उनकी पैरवी के लिए नियुक्त किए गए न्यायमित्र को हटाये जाने की मांग पर सुनवाई के बाद दिए। दो दोषियों पवन और विनय शर्मा ने उनकी पैरवी के लिए नियुक्त न्यायमित्र राजू रामचंद्रन व संजय हेगड़े को हटाने का अनुरोध किया था। आरोप लगाया गया था कि दोनों वकील टीवी चैनल और अखबारों में शिकायतकर्ता का पक्ष लेते रहे हैं और उनका विरोध करते रहे हैं।

यह भी कहा था कि इन वकीलों ने इसी तरह पैरवी करके कसाब और अफजल गुरू को फांसी दिलवाई थी। उन्हें अपनी पैरवी के लिए ये न्यायमित्र नहीं चाहिए। विनय और पवन फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं और उन्हें सत्र अदालत व दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। उनकी अपीलें सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिस पर कोर्ट आजकल सुनवाई कर रहा है।

न्यायमित्रों ने भी अनिच्छा जाहिर की

सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान अभियुक्तों के वकील एमएल शर्मा ने पीठ के समक्ष दोषियों के आपत्ति उठाने वाले पत्र का जिक्र किया। तभी अदालत में मौजूद दोनों न्यायमित्रों ने भी ऐसी स्थिति में मामले में बने रहने की अनिच्छा जाहिर की। इस पर पीठ ने साफ किया कि उन्हें दोनों वकीलों की काबिलियत और मंशा पर पूरा विश्वास है और उनकी भूमिका कोर्ट ने गत 11 जुलाई को उनकी नियुक्ति करते समय ही तय कर दी थी।

कोर्ट ने सोमवार को 2 बजे से लेकर सवा पांच बजे तक सुनवाई की जबकि अदालत का समय चार बजे समाप्त हो जाता है। बहस मुकेश और अक्षय के वकील एमएस शर्मा ने शुरू की। तीन घंटे की बहस में शर्मा ने निचली अदालत के फैसले और साक्ष्यों को अदालत के समक्ष रखा। मामले पर 22 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।

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