राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएसटी) ने बुधवार को ओड़ीशा सरकार को कंधमाल में माओवादी विरोधी अभियान के दौरान पांच ग्रामीणों को भून डालने में कथित रूप से शामिल विशेष अभियान समूह (एसओजी) के जवानों का मनोविकार संबंधी परीक्षण कराने का सुझाव दिया। एनसीएसटी अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कंधमाल के बालीगुडा में मृतकों के परिवारों से मिलने के बाद कहा, ‘हत्याओं में शामिल जवानों को जरूर ही मानसिक रोग परीक्षण से गुजरना चाहिए। उन्होंने बिना किसी उकसावे के निर्दोष नागरिकों पर गोलियां चलार्इं, किसी ने उन पर हमला नहीं किया था। यह गलत है।’
पुलिस के इस बयान को कि शुक्रवार की रात को अभियान के दौरान ये ग्रामीण गोलीबारी के बीच आ गए और मारे गए, खारिज करते हुए उरांव ने कहा, ‘ऐसी कोई चीज हुई ही नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और यह बिल्कुल नहीं होनी चाहिए थी।’ उन्होंने कहा, ‘जवानों ने एकतरफा गोलियां चलाईं, इस बात का पुलिस और जिला प्रशासन समेत कोई भी खंडन नहीं कर रहा है। बिल्कुल ही कोई उकसावापूर्ण हरकत नहीं हुई थी।’ उरांव ने कहा कि मृतकों के परिवार के सदस्यों और प्रशासन ने माना कि मासूम लोगों की हत्या की गई।
उन्होंने कहा कि इस अभियान में शामिल जवानों को कम से कम इतना तो मालूम होना ही चाहिए कि नक्सली गाड़ियों से नहीं आते। उन्होंने कहा, ‘वे जंगलों में नंगे पांव घूमते हैं जबकि नागरिक वाहनों से आते-जाते हैं। उन्हें गोलियां चलाने से पहले कम से कम इतनी समझ तो लगानी चाहिए थी।’ उरांव ने कहा, ‘मैं मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से जल्द मुलाकात करूंगा। एनसीएसटी राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का सुझाव देगा कि ऐसी घटना की भविष्य में दोबारा न हो।’