हजारीबाग में ग्रामीणों ने खुद ही बना डाला पुल

शशि शेखर, हजारीबाग। सालों सरकार और प्रशासन का मुंह ताकते रहे। आश्र्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। फिर ठाना कि अब किसी के आसरे नहीं रहना। खुद मेहनत का निश्चय किया और हाथ से हाथ जोड़े। चार माह अनवरत एक दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोगों ने श्रमदान किया। चंदा कर पैसे जुटाये। हजारीबाग (झारखंड) के चौपारण स्थित लराही गांव में यह मेहनत अब रंग लाई है।

बरसात से पहले कोयल नदी पर सामूहिक प्रयास से पुल बांध कर ग्रामीणों ने कई गांवों की जिंदगी नारकीय होने से बचा ली है। दो किलोमीटर का कच्चा रास्ता भी बनाया गया है। दरअसल लराही व उसके आसपास के कई गांवों के ग्रामीणों का भागीरथी प्रयास समस्या को मात देने की गाथा है।

लराही गांव के पहले कोयल नदी व बराकर नदी के पानी का बहाव रहता है। बरसात के दिनों में लगभग चार किमी का इलाका पूरी तरह जलमग्न रहता है। ऐसे में बिना सरकारी सहायता के चंदा से करीब तीस लाख रुपये एकत्रित कर श्रमदान से पुल व कच्चा रास्ता बना लिया। संघर्ष से सपने को सच करने की सफलता से दर्जनों गांव के लोगों की आंखों में गजब की खुशी है।


बरसात में इलाका बन जाता था टापू

पुल व लगभग दो किमी कच्चा पथ बन जाने से ग्रामीणों को बरसात के दिनों में टापूमय जीवन जीने से बचने के अलावा लगभग बीस किमी अतिरिक्त चलने से छुटकारा मिलेगा। साथ ही चौपारण के सिघरांवा मोड़ से तिलैया जाने की दूरी 15 किमी कम हो जाएगी। ग्रामीणों के इस काम में सरकारी सहायता तो नहीं मिली, परंतु विधायक मनोज यादव ग्रामीणों की हमेशा मनोबल बढ़ाते रहे।

1997 में हुई थी भीषण दुर्घटनाः

1997 में नदी पार करने के क्रम में नाव डूबने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। इसमें कई स्कूली बच्चे भी थे। बरसात में इलाका पूरी तरह से कट जाता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *