मध्यप्रदेश में 3 साल के अंदर 25 फीसदी मंहगी होगी बिजली

बलवीर सिंह, ग्वालियर। बिजली की चोरी व तकनीकी हानि रोकने में नाकाम बिजली कंपनियां अब बिजली की दरें बढ़ाकर नुकसान की भरपाई करेंगी। इसके लिए सरकार अगले तीन साल में दरें 25 फीसदी तक बढ़ाने जा रही है। इससे जनता पर 55 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ आएगा। हर घर को 24 घंटे बिजली देने की केंद्र की योजना को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने इस आशय के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

पावर फॉल ऑल योजना के तहत केंद्र ने राज्य सरकारों से संयुक्त करार किए हैं। प्रदेश सरकार ने इसके लिए अप्रैल में करार तैयार किया। इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जॉइंट सेक्रेटरी ज्योति अरोरा व प्रदेश के ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आईसीपी केसरी ने हस्ताक्षर किए हैं।

योजना के तहत 2019 तक हर घर को 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य है। संयुक्त प्रस्ताव में प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने पश्चिम, पूर्व व मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का अब तक का घाटा 28 हजार 777 करोड़ बताया है। हर वित्त वर्ष में 4 हजार 950 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। तीनों कंपनियों का औसत लाइन लॉस 23.07 प्रतिशत है।

अगर इसकी भरपाई नहीं की गई तो 2019 तक घाटा 61 हजार करोड़ हो जाएगा। लाइन लॉस की भरपाई बिजली की दरों में वृद्धि करके ही होगी। अगर बिजली की दर में वर्ष 2017 से 2019 तक हर साल 8.09 प्रतिशत वृद्धि करते हैं तो कंपनी लॉस में नहीं रहेगी। तीनों कंपनियां नो प्रोफिट व नो लॉस में आ जाएंगी। वहीं यदि हर साल 8.45 प्रतिशत की वृद्धि करते हैं तो कंपनियों को फायदा होने लगेगा। टैरिफ में वृद्धि करके हर घर को 24 घंटे बिजली दी जा सकती है।

53 लाख घरों में बिजली नहीं

-प्रदेश में अभी भी 53 लाख से अधिक घरों में बिजली नहीं पहुंची है। न ही लाइनें हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 52 लाख 86 हजार घर बिना बिजली के हैं। शहर में 1 लाख 44 हजार घरों में बिजली नहीं है।

– पावर फॉर ऑल योजना के माध्यम से फीडरों को अलग किया जाएगा। कृषि पंप को 10 घंटे, रूरल आबादी को 24 घंटे बिजली दी जाएगी। फीडर सेपरेशन के माध्यम से लाइनों को अलग किया जाएगा।

अपनी नाकामी उपभोक्ताओं पर थोपी

वैसे लाइन लॉस कम करने की जिम्मेदारी बिजली कंपनी के अधिकारियों की है, लेकिन कंपनी अपनी नाकामी का बोझ ऐसे उपभोक्ताओं पर बोझ डालने जा रही है जो ईमानदारी से बिल भर रहे हैं। वर्तमान में उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट सवा सात रुपए से अधिक का भुगतान करना पड़ रहा है।

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