उत्तराखंड: प्राकृतिक आपदा से आधा हो गया पर्यटन कारोबार, 25 से 60 प्रतिशत तक गिरा व्यवसाय

पिथौरागढ़ और चमोली जिले में प्राकृतिक आपदा का असर सीधे तौर पर कुमाऊं के पर्यटन कारोबार पर पड़ा है। आम तौर पर जुलाई के पहले पखवाड़े तक यहां रहने वाले सैलानियों की तादात में अचानक गिरावट आई है। टीवी पर समाचार के बाद तो पर्यटक इतने भयभीत हो गए कि सुरक्षित क्षेत्र रामनगर, भीमताल, रामगढ़ आदि में भी सैलानियों की संख्या कम हो गई है।

सरोवरनगरी नैनीताल में आम तौर पर गर्मियों का सीजन जुलाई के दूसरे सप्ताह तक चलता है। लेकिन इस बार जून के खत्म होते ही पर्यटकों की संख्या गिर गई। साल 2015 में जुलाई के पहले सप्ताह में नैनीताल में 25 हजार सैलानी पहुंचे थे, इस बार इनकी तादात 10 हजार सिमट गई है। इसका असर टैक्सी चालकों के साथ ही नाव चालक व घोड़ा चलाने वालों की आय पर पड़ा है।

नैनीताल में पर्यटन केंद्र मालरोड के प्रभारी बीसी त्रिवेदी का कहना है कि पिथौरागढ़ में बादल फटने की घटना के बाद समूचे उत्तरांखड को आपदागस्त मान लेने के भ्रम से ऐसा हुआ है। आपदा प्रभावित पिथौरागढ़ के पर्यटन व्यवसाय में 40 से 60 प्रतिशत की कमी आई है। चौकोड़ी, बेरीनाग, मुनस्यारी में होटल में काम करने वाले लगभग 30 लोगों को छुट्टी पर भेजा गया है। अल्मोड़ा मई और जून में पर्यटन कारोबार जहां 90 प्रतिशत कारोबार रहा। वहीं यह 30-40 प्रतिशत पहुंच गया है। इससे होटलों में कार्यरत 200 से अधिक सीजनल कर्मचारी बेराजगार हो गए।

जुलाई में पहले सप्ताह तक सैलानियों की स्थिति
स्थान साल 2015 साल 2016
नैनीताल 25 हजार 10 हजार
रामनगर 7 हजार 1800
अल्मोड़ा 6614 3800
मुनस्यारी 227 123
बेरीनाग 35 15
पिथौरागढ़ 105 60
गंगोलीहाट 15 08
डीडीहाट 35 15
चौकोड़ी 90 45

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