झारखंड के सिर्फ 37.7 फीसदी घरों में शौचालय

रांची: राज्य के कुल 80 लाख घरों में से सिर्फ 37.7 फीसदी घरों में ही शौचालय है. इनमें भी ज्यादातर शौचालय शहरी व कस्बाई इलाके में ही हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय बनाया जाना है. 

 

इस दिशा में कार्य जारी है. अभी हाल ही में विभिन्न जिलों की 55 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है. रांची जिले का हहाप पंचायत खुले में शौच से मुक्त है. इधर, रांची के बुढ़मू प्रखंड की सारले पंचायत के मुखिया गोपी मुंडा ने बताया कि उनके पंचायत में भी शौचालय की मांग हो रही है. इससे पहले पंचायत में बने शौचालय संबंधित ठेकेदार ने जिले को नहीं सौंपा है. इससे इनका उपयोग नहीं हो रहा. 
शौचालय के लिए वित्तीय मदद 
भारत सरकार ग्रामीण इलाके में शौचालय निर्माण के लिए वित्तीय मदद करती है. केंद्र की अोर से प्रति शौचालय नौ हजार रुपये मिलते हैं. शेष मदद राज्य सरकार करती है. तमिलनाडु में राज्य सरकार प्रति शौचालय 10 हजार तथा कर्नाटक सरकार प्रति शौचालय 18 हजार रुपये की वित्तीय सहायता देती है. झारखंड में राज्य सरकार का योगदान तीन हजार रुपये है. भारत सरकार के पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय में स्वच्छता परियोजना के निदेशक रहे तथा वर्तमान में यूनिसेफ में कार्यरत सुजॉय मजुमदार के अनुसार शौचालय एक जरूरत के साथ-साथ मानसिकता से जुड़ा मामला भी है. लोगों को खुद समझना होगा कि यह उनकी चीज है, इसलिए शौचालय बनाना, इसकी गुणवत्ता व देखरेख सरकार की नहीं, उनकी जिम्मेवारी है. 
मानसिकता बदलें 
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय 
शौचालय के संबंध में एक अलग तरह की मानसिकता रखते हैं. बढ़िया मकान बनानेवाले लोग भी अपने घर के शौचालय पर पैसा खर्च करना नहीं चाहते. सुजॉय के अनुसार उन्होंने आंध्र में ऐसे परिवार के बारे में सुना, जिसने घर तो दो मंजिला बनाया, पर इसमें शौचालय नहीं बनवाया. इस संबंध में पूछने पर उसका जवाब था कि सरकार से पैसे मिलेंगे, तभी बनायेंगे. वहीं दोपहिया वाहन से महंगे मोबाइल लेकर भी खुले में शौच करते लोगों को देखा-सुना जा सकता है. जबकि सरकार से मिली सहायता राशि में अपने पैसे मिला कर बढ़िया शौचालय बनाये जा सकते हैं.

 

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