कार्रवाई के दौरान फाइजर, बिनमेडीकेयर, सेंटूर, एलकेम जैसी नामी दवा कंपनियों द्वारा बनाई जाने वाली जेलुसिल, बीटाडिन, सिनारेस्ट और एटूजेड दवा की 291 सीरप की शीशी भरी हुई मिली। ड्रग इंस्पेक्टर ने इन सीरप को देखकर मौके पर ही नकली होने की बात कही।
हालांकि, सभी दवाओं के सैंपल लेकर जांच कराई जा रही है। कमरे में तीन हजार से ज्यादा खाली बोतल, चारों दवा के 200 से ज्यादा रेपर सीट, तीन बाल्टी केमिकल, शहद के खाली डिब्बे, मोमबत्ती, पंखा, स्टोव और सिरप पैकिंग मशीन, रजाई-गद्दे मौके पर मिले। सभी सामान को ड्रग इंस्पेक्टर ने जब्त कर स्वास्थ्य विभाग कार्यालय में रखवा दिया है।
ड्रग इंस्पेक्टर संजीव सिंह जादौन ने बताया कि अशोकनगर रोड पर मुंशीपुरा स्थित प्रभावती शर्मा के मकान के एक कमरे में नकली दवा बनाने की सामग्री मिली है। नामी कंपनी की हुबहू दवा बनाने का यह पूरा काम गैर कानूनी रुप से किया जा रहा था। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि मुस्तफा एजेंसी पटना के जांच अधिकारी संजय सिंह ने फाइजर कंपनी की जेलुसिल दवा गुना में नकली बनाकर सस्ते दामों पर मेडीकल स्टोरों के माध्यम से बेचे जाने की शिकायत की गई थी। लेकिन जब शिकायतकर्ता द्वारा बताए गए स्थान पर छापामार कार्रवाई की गई, तो दवा का नकली कारोबार करने वाले कमरे में ताला लगाकर भाग चुके थे।
हालांकि उक्त कमरे का ताला तोड़कर नकली दवा बनाने की सामग्री जप्त कर ली गई है। जेलुसिल की 78, बीटाडिन की 101, सिनारेस्ट की 54 और एटूजेड दवा की 58 सिरप और सिरप पैकिंग सामग्री मौके पर मिली है। इस दौरान मौके पर नकली सामग्री में चींटी न लगें इसलिए दवा का छिड़काव किया गया था। जादौन ने बताया कि एटूजेड सिरप ड्रग नहीं, फूड इंस्पेक्टर की कार्रवाई की जद में आती है।
एक बार तो वापस लौट लिए थे ड्रग इंस्पेक्टर
5 जून को स्वास्थ्य विभाग को गुना में नकली दवा बनाकर बेचे जाने की जानकारी मुस्तफा हुसैन जांच एजेंसी के जांच अधिकारी संजय सिंह ने दी थी। शिकायत के करीब 15 दिन बाद मौके पर पहुंचकर ड्रग इंस्पेक्टर ने कार्रवाई की। मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे ड्रग इंस्पेक्टर संजीव सिंह जादौन मौके पर पहुंचे थे।
शिकायतकर्ता द्वारा बताए गए स्थान की जांच करने पर ड्रग इंस्पेक्टर को उक्त कमरे में ताला लगा मिला। इस पर उन्होंने कुछ भी गलत नहीं मिलने की बात कहकर मौके पर पंचनामा बनाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन कुछ जागरुक लोगों ने कमरे के भीतर झांककर देखा, तो दंग रह गए, क्योंकि कमरे के भीतर दवाओं का ढेर सारा स्टाक था।
आधा घंटा देरी से आईपुलिस
कमरे के भीतर दवाओं का स्टाक देखकर ड्रग इंस्पेक्टर हरकत में आए और उन्होंने कमरे का ताला तोड़ने के लिए तुरंत कैंट पुलिस की मदद ली। सीएसपी, टीआई सहित कंट्रोल रुम और डायल 100 पुलिस को जल्द से जल्द मौके पर पहुंचने का आग्रह किया, लेकिन पुलिस सूचना के करीब आधा घंटे बाद मौके पर पहुंची। इस बीच कार्रवाई करने से ड्रग इंस्पेक्टर कतराते रहे। बाद में पुलिस पहुंचने पर कमरे का ताला तोड़कर नकली दवा सामग्री जप्त करने की कार्रवाई की गई।
अम्मा मैं तो 10 दिन में परीक्षा देकर चला जाऊंगा
ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा मुंशीपुरा निवासी जिन प्रभावती शर्मा के घर से नकली दवा बनाने की सामग्री जप्त की गई, उन वृद्घ प्रभावती शर्मा ने नवदुनिया को बताया कि 15-20 दिन पहले राजेश चौहान नाम का एक युवक किराए पर कमरा लेने आया था। युवक ने अपने आप को उत्तरप्रदेश के ललितपुर का निवासी बताया था। प्रभादेवी ने युवक को कहा था कि यहां पानी की समस्या है इसलिए मैं तुम्हें किराए पर कमरा नहीं दे सकती तो युवक ने प्रभादेवी से कहा था कि अम्मा मैं तो परीक्षा देने आया हूं, पानी का इंतजाम में कर लूंगा मुझ पर दया करो और मैं 10 दिन में परीक्षा देकर चला जाऊंगा। प्रभादेवी ने बताया कि युवक की बातों में आकर उन्होंने एक हजार रुपए महीना में उक्त कमरा किराए से दे दिया था।
किराए के एडवांस रुपए और किराएनामा के लिए युवक की आईडी को लेकर प्रभादेवी ने युवक से बात की थी तो युवक ने दो-तीन दिन में सबकुछ देने की बात कही थी। प्रभादेवी ने बताया कि लेकिन दो-तीन दिन रहने के बाद से युवक गायब है, कमरे में ताला लगा हुआ है, युवक के आने का मैं इंतजार कर रही थी, इसलिए हमने कभी इस कमरे को खोलकर भी नहीं देखा। मोहल्ले के लोगों ने भी उक्त कमरे में चल रही गतिविधि के बारे में कुछ भी पता नहीं होने की बात बताई।
1. दवा का नामः जेलुसिल
कंपनी का नामः फाइजर
कीमतः 90 रुपए (60एमएल)
उपयोगः पेटदर्द, गैस, बदहजमी आदि
2. दवा का नामः सिनारेस्ट
कंपनी का नामः सेंटूर
कीमतः 66 रुपए (100एमएल)
उपयोगः बच्चों के लिए सर्दी, खांसी, जुकाम आदि में।
3. दवा का नामः बीटाडिन
कंपनी का नामः बिनमेडीकेकयर
कीमतः 95 रुपए (100एमएल)
उपयोगः चोट लगने पर घाव में लगाने किया जाता है इस्तेमाल
4. दवा का नामः एटूजेड
कंपनी का नामः एलकेम
कीमतः 47 रुपए (100एमएल)
उपयोगः मल्टीविटामिन, ताकत के लिए खासकर बच्चों को।
ड्रग इंस्पेक्टर संजीव सिंह जादौन से नवदुनिया की सीधी बात
सवाल : नकली दवा कारोबार की शिकायत पर कार्रवाई में देरी क्यों हुई।
जबाव : मेरे पास चार जिलों का प्रभार है। शिकायत की गंभीरता के चलते तुरंत गुना आ गया था, लेकिन शिकायतकर्ता मेरे आने से पहले ही गुना से जा चुका था। वह सटीक स्थान का पता नहीं दे रहा था।
सवाल : जिन दवाओं की सीरप छापामार कार्रवाई मेंमिलीहै, क्या उनके सेंपल मेडीकल दुकानों से होंगे।
जबाव : हां, जिन दवा की सीरप छापामार कार्रवाई में मिले, वह नकली हो सकती हैं, इसलिए सभी मेडीकल दुकानों पर इन दवाओं के सैंपल की कार्रवाई की जाएगी।
सवाल : छापामार कार्रवाई में किन धाराओं में कार्रवाई की गई है।
जबाव : ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत धारा 18 सी (बिना लायसेंस के दवा स्टोरेट) एवं 18 ए (बिना लायसेंस के दवा बनाने) की फिलहाल कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही मामला डीजे कोर्ट में पुटअप होने पर न्यायालय के आदेश पर संबंधित पुलिस आरोपियों की जांच कर पहचान और गिरफ्तारी करेंगी। इधर दवाओं का सेंपल फेल होता है तो नकली दवा की धारा बाद में मामले में बढ़ जाएगी।
सवाल : ड्रग एंड कास्मेटिव एक्ट की इन धाराओं में सजा का क्या प्रावधान है।
जबाव : अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना।, केस की सुनवाई डीजे कोर्ट में होगी।
सवाल : गुना में कितने थोक और फुटकर दवा विक्रेता है, कोई फैक्ट्री भी है।
जबाव : गुना जिले में 250 के करीब लायसेंसी मेडीकल विक्रेता और 150 थोक मेडीकल विक्रेता लायसेंसी हैं। केवल वंदना स्कूल के पास गोयल मेडीकल वालों को मेडीकल से संबंधित रुई एवं बेंडेड बनाने के लिए लायसेंस दिया गया है।