रायपुर (ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ सरकार की अमृत योजना का दूध पीने के बाद केतुलनार में हुई दो बच्चियों की मौत के मामले में राजधानी से लेकर बीजापुर तक सरकारी अमला अब यह साबित करने में जुटा है कि दूध विषाक्त नहीं था। खामी निकाली जा रही है ग्रामीणों में, जो दूध पीकर बीमार पड़े बच्चों को अस्पताल की बजाय बैगा के पास ले गए।
इधर राज्य सरकार ने जांच के जो बिंदु तय किए हैं, वे केतुलनार की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर केन्द्रित हैं। बुधवार को बीजापुर में प्रशासन ने मृत बच्चों के परिजनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बयान दर्ज किए।
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ दुग्ध महासंघ ने देवभोग ब्रांड के दूध की खुद ही जांच कर ली और उसे पैमाने पर खरा करार दे दिया। घटना के दूसरे दिन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जरूर इस मामले में दोबारा संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली। प्रभारी मुख्य सचिव अजय सिंह का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी। इस बीच विपक्षी कांग्रेस ने भी मामले की जांच के लिए 12 सदस्यीय टीम बनाई है जो गुरुवार को केतुलनार जाएगी। टीम में बस्तर के पांच विधायक शामिल हैं।
कई विभाग कर रहे जांच
मामले की जांच कलेक्टर के अलावा अन्य कई एजेंसियां कर रही हैं। इनमें महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन शामिल हैं। फिलहाल किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।