नई दिल्लीः बांदा के सिकंदरपुर निवासी किसान श्याम बाबू कहते हैं कि सूखे में चारे का इंतजाम न होने से पशु भूखे मरने को मजबूर हैं, सुना था कि सरकार मुफ्त में भूसा दे रही है मगर अब तक हमारे यहां कोई भूसा बांटने नहीं पहुंचा। न ही कोई बता रहा कि भूसा कहां मिलेगा। अतर्रा गांव के रामेश्वर यादव भी कुछ ऐसी ही शिकायत करते हैं। श्याम बाबू और रामेश्वर यादव जैसी पीड़ा बुंदेलखंड के बांदा के हर गांव के किसानों की है। यूं तो शासन से भूसा भेजा गया है बेजुबानों की भूख मिटाने के लिए मगर सरकारी मुलाजिम कागजी बाजीगरी कर पैसे कमाने की अपनी भूख मिटा रहे। सूखे से चारा के अभाव में पशुओं के मरने की शिकायत पर शासन ने बुंदेलखंड के जिलों में हर पशु को पांच किलो भूसा वितरण का फरमान जारी किया था। यह व्यवस्था सूखा राहत पैकेज योजना के तहत की गई। मगर योजना का जिम्मेदार बंटाधार कर रहे।
सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं
चित्रकूटधाम मंडल में बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर व महोबा जिले आते हैं। इन जिलों में कुल 31 हजार 288.60 कुंतल भूंसा वितरण का दावा किया जा रहा। अफसरों के मुताबिक 137 स्थानों पर कैंप लगाकर अब तक ढाई करोड़ रुपये का भूसा वितरित किया जा चुका है मगर किसान इसे झूठ बताते हैं। जबकि जिलों के अधिकांश कह रहे कि हमें तो भूसा मिला नहीं। अफसर किसे भूसा दे रहे वही जाने।
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