पहले नियुक्ति और अब शिक्षकों की पात्रता परीक्षा!

रायपुर। राज्य के स्कूलों में ऐसे शिक्षाकर्मी, जो कि बगैर टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा) पास होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें जुलाई में होने वाली टीईटी में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। वहीं इस मामले में शिक्षाविदें का कहना है कि पहले नियुक्ति और फिर पात्रता का परीक्षण करना गलत है। सरकार अपनी चूक को छिपाने के लिए शिक्षकों पर बोझ डाल रही है।

स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ को पत्र लिखकर 22 अगस्त, 2010 के बाद नियुक्त ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी है, जिन्होंने टीईटी पास नहीं की है। शिक्षकों में परफार्मेंस कम होने के कारण भी उन्हें आरटीई (शिक्षा के अधिकार अधिनियम) के मापदंड पर खरा नहीं उतरना माना जा रहा है। नियुक्ति के बाद पात्रता परीक्षा लेने के फरमान को लेकर शालेय शिक्षाकर्मी संघ मोहलत मांगकर शिक्षकों के बचाव में सामने आ गया है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर अब आग्रह की मुद्रा में हैं। अफसरों का कहना है कि शिक्षकों से आग्रह है कि वे आरटीई के अनुसार अपनी पात्रता सुनिश्चित कर लें। दबी जुबान अफसर भी मान रहे हैं कि पात्रता के सारे मापदंडों के बगैर कुछ शिक्षकों की नियुक्ति हुई है यानी कहीं न कहीं चूक हो गई है।

एनसीटीई ने मांगी सूची, भेजा निर्देश

एनसीटीई(नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) ने राज्य सरकार को कहा है आरटीई के नार्म्स के हिसाब से 2010 के बाद नियुक्ति ऐसे शिक्षक जिन्होंने टी ईटी पास नहीं की है। उन्हें पात्रता परीक्षा पास कराई जाए। इसके अलावा एनसीटीई ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद(एससीईआरटी) से ऐसे शिक्षकों की सूची भी मांगी है। लोक शिक्षण संचालनालय सूची जुटाने में लगा हुआ है। एनसीटीई का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षकों को आरटीई के मापदंड के हिसाब से पात्र होना जरूरी है।

हजारों शिक्षक होंगे प्रभावित

अधिकारिक सूत्रों की मानें तो 2010 के बाद राज्य में 14 हजार करीब शिक्षकों की नियुक्ति हुई है जिनमें 5 ह जार से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने टी ईटी पास नहीं की है। राज्य में 2 लाख 50 हजार करीब शिक्षक हैं। इनमें 1 लाख 70 हजार सिर्फ शिक्षाकर्मी हैं ,जबकि 79 हजार करीब शिक्षकों के पद खाली बताए जा रहे हैं।

अप्रशिक्षित शिक्षकों को भी नहीं कर पाए प्रशिक्षित

आरटीई के तहत सरकारी और निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षित होने की समय सीमा 31 मार्च 2015 को खत्म चुकी है। आरटीई एक अप्रैल 2010 को राज्य में लागू हुआ। इसके तहत सभी स्कूलों में शिक्षकों को 5 साल के अंदर बीएड, डीएड के जरिए प्रशिक्षित करना था, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक अधूरा है। राज्य में निजी और सरकारी स्कूलों में 27 हजार 529 शिक्षक हैं, जिन्होंने डीएड, बीएड नहीं किया है। सरकारी स्कूलों में 5147 और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 964 अप्रशिक्षित शिक्षक हैं।

फैक्ट फाइल

37710 प्राथमिक शाला

16572 पूर्व माध्यमिक शाला

2849 हाई एवं 3177 हायर सेकंडरी स्कूल

2 लाख 50 हजार करीब शिक्षक प्रदेश में

1 लाख 70 हजार सिर्फ शिक्षाकर्मी

79 हजार करीब छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के पद खाली

2010 के बाद करीब 14 हजार शिक्षकों की भर्ती

5 हजार करीब ऐसे शिक्षक, जो टीईटी पास नहीं

टीईटी के साथये भी जरूरी

– प्राइमरी तक के लिए शिक्षक को हायर सेकंडरी डीएड या समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिए

– मिडिल तक के शिक्षकों को स्नातक बीएड या समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिए

-हाई-हायर सेकंडरी के शिक्षकों को संबंधित विषय में पीजी बीएड या समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिए

एनसीटीई और आरटीई के नार्म्स के अनुसार शिक्षकों को अपनी पात्रता सुनिश्चित करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग सिर्फ आग्रह कर रहा है। नार्म्स के अनुसार शिक्षकों की पात्रता जरूरी है। – सुब्रत साहू ,सचिव, स्कूल शिक्षा

एनसीटीई ने राज्य सरकार से जानकारी मांगी है कि कितने शिक्षक 2010 के बाद टीईटी नहीं पास किया है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है। ऐसे शिक्षकों को गाइडलाइन के हिसाब से परीक्षा पास करनी है। – संजय ओझा, संचालक, एससीईआरटी

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *