पटना : देश के दूसरे राज्यों की तरह ही बिहार में भी ब्लैक मनी को छिपाने के लिए कृषि का सहारा लिया जा रहा है. सैकड़ों की संख्या में लोग यहां भी सालाना लाखों रुपये अपनी कृषि आय के रूप में दिखाने लगे हैं.
इनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. जबकि राज्य में कृषि क्षेत्र में ग्रोथ की दर में 2014 में खराब मौसम समेत अन्य कारणों से करीब 10 फीसदी की गिरावट रही थी. वहीं, वर्ष 2015 के दौरान भी इस क्षेत्र में बहुत अच्छी स्थिति नहीं रही है. इसका ग्रोथ रेट भी करीब 12 फीसदी रहा. फिर भी राज्य में कुछ लोग कृषि क्षेत्र को अपने आय का मुख्य स्रोत बता रहे हैं और इस आधार पर इनकम टैक्स में छूट भी पा रहे हैं.
इनकम टैक्स के रडार पर ऐसे लोग : ऐसे लोगों के बारे में आयकर विभाग पता लगाने में जुटा हुआ है. अब तक हुई पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि बिहार और झारखंड मिलाकर करीब 9 लाख लोग आयकर रिटर्न दायर करते हैं. इसमें सिर्फ बिहार से आयकर रिटर्न दायर करने वालों की संख्या करीब 4 लाख है.
इसमें करीब 300 लोग ऐसे हैं, जो अपनी सालाना 10 लाख या इससे ज्यादा की आय को कृषि आय के तौर पर दिखा रहे हैं. इसमें 20 लाख या इससे ज्यादा की आय को कृषि आय के रूप में दिखाने वालों की संख्या करीब 50 है. हालांकि इस मामले में आयकर विभाग अभी ऐसे लोगों की पूरजोर तरीके से तलाश करने में जुटा हुआ है. पिछले दो सालों की तुलना में कृषि आय दिखाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. जांच पूरी होने के बाद ही इन लोगों की पूरी संख्या सामने आ पायेगी.
ब्लैक मनी को व्हाइट करने का सहज माध्यम : आयकर के दायरे से अपने को बाहर रखने या बचाने के लिए कृषि आय का सहारा लेते हैं. नियमानुसार, कृषि से होने वाली आय पर किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है. इस तरह हर साल ज्यादा मात्रा में कृषि आय दिखाकर इसमें कई लोग अपने ब्लैक मनी को सफेद कर लेते हैं. कृषि आय दिखा देने से इनकी ब्लैक मनी भी सफेद हो जाती है और इस पर किसी तरह का आयकर भी नहीं लगता है. इस तरह यह ब्लैक मनी को व्हाइट करने का बड़ा माध्यम बनता जा रहा है. इसका सामान्य तौर पर पता लगाना मुश्किल होता है. हालांकि विभाग इसके लिए ऐसे लोगों की पूरी कुंडली खंगालने में लगा हुआ है.
आयकर विभाग में एक व्यक्ति ने कृषि से अपनी सालाना आय 60 लाख प्रस्तुत करके टैक्स से छूट पा लिया. जिन स्थान के खेतों को उसने अपनी आय में दर्शाया था, उससे इतनी आय होना संभव नहीं लगा. साथ ही संबंधित व्यक्ति का कारोबार भी ऐसा था कि उससे यह भरोसा नहीं किया जा सकता था.
विभाग को उसके ब्लैक मनी को व्हाइट करने की बात प्रतित हुई. तब विभाग ने इसरो की मदद से उस स्थान का चालू वर्ष का फसल सैटेलाइट मैप या फोटो मंगवाया. इससे यह पता चला कि उस स्थानपर उस वर्ष फसल की जगह घास उगी हुई थी. इस पर विभाग ने उस व्यक्ति पर पेनाल्टी करते हुए ब्लैक मनी के मामले में कार्रवाई की.