जयपुर। राजस्थान के सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में रहने वाली सैन्य की विधवा राजकंवर को आखिर 65 वर्ष बाद पेंशन मिल सकेगी। उनकी पेंशन सेना की ओर से मिले एक भोजन पात्र के कारण सम्भव हो पाई है।
राजकंवर के पति चुन्नी सिंह नवम्बर 1942 में भारतीय सेना में घुड़सवार के रूप में भर्ती हुए थे। उन्होने द्वितीय विश्युद्ध में हिस्सा लिया और 1950 में घर आए। वर्ष 1952 में उनकी मौत हो गई, लेकिन उनकी पत्नी राजकंवर को सेना की ओर से पेंशन या अन्य सहायता नहीं मिल पाई, क्योंकि राजकंवर के पास चुन्नी सिंह के सेना में होने का कोई सबूत नहीं था। बस एक भोजन पात्र था जिस पर कुछ अंक लिखे हुए थे। इन अंकों के आधार पर चुन्नी सिंह का आर्मी सर्विस नम्बर खोजा गया।
इसके लिए राजकंवर को बहुत चक्कर काटने पड़े और अब जाकर उनकी पेंशन के आदेश हो पाए है। अगले माह से उनकी पेंशन शुरू हो जाएगी।