छत्तीसगढ़– पहाड़ा ही नहीं… शिक्षकों को नहीं पता मंडे की स्पेलिंग

रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सोमवार को लोक सुराज अभियान के अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा था कि गांव के स्कूलों में बच्चे तो बच्चे शिक्षकों तक को पहाड़ा नहीं आता। उन्होंने भले ही इसे सहज भाव से जिक्र किया, लेकिन मामला उतना ही गंभीर भी है।

क्योंकि शिक्षा गुणवत्ता अभियान में स्कूलों के निरीक्षण के दौरान जो फीड बैक मिले हैं, उसमें तो यह जानकारी सामने आई है कि कई शिक्षकों को तो हिन्दी के स्वर अ .., आ.. इ और ई … का सही क्रम, दिनों की स्पेलिंग, अंग्रेजी में महीनों के नाम भी पता नहीं है। इस जानकारी के सामने आने के बाद सर्व शिक्षा अभियान एवं गुणवत्ता अभियान के नोडल अफसर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को पत्र लिखकर कम क्षमता वाले शिक्षकों को अपडेट करने के लिए गुजारिश कर रहे हैं।

केस 1 : ट्यूजडे और महीनों के नाम नहीं पता

बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक में एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षाकर्मी को स्कूल में पढ़ाते समय ब्लैक बोर्ड पर स्पेलिंग गलत लिखते पाया गया था। निरीक्षणकर्ताओं ने संडे और मंडे की स्पेलिंग पूछी तो शिक्षक ने बता दिया, लेकिन ट्यूजडे की स्पेलिंग नहीं बता पाया। अंग्रेजी महीनों के नाम क्रमवार भी नहीं बता पाया।

केस 2 : अंग्रेजी की पढ़ाई हिन्दी में

रायपुर जिले के धरसींवा ब्लॉक के एक प्राइमरी स्कूल में प्राइमरी की अंग्रेजी पुस्तक में लिखा ‘राम इज ए बॉय’ को शिक्षक नहीं बोल पाए। किताब के अंग्रेजी वर्ड्स को ब्लैक बोर्ड में हिंदी में लिखकर उच्चारण कराया जा रहा था। बालोद जिले के एक स्कूल के शिक्षकों पहाड़ा नहीं आया। वहां अंग्रेजी की पोयम को हिंदी में ब्लैक बोर्ड पर लिखकर पढ़ाया जा रहा था।

केस 3 : स्वर के क्रम बताने में भी दिक्कत

आधिकारिक सूत्रों की अनुसार एससीईआरटी ने 2014 में हिन्दी के स्रोत व्यक्ति (शिक्षक), जो दूसरे शिक्षकों को जिलों में प्रशिक्षण देते हैं, की वर्णमाला क्षमता की जांच की थी तो सिर्फ 53 प्रतिशत स्रोत शिक्षक ही अ.., आ…, इ.. ई को सही क्रम में लिख पाए थे। यह रिपोर्ट स्कूल शिक्षा सचिव को भी भेजी गई थी।

तीन हजार शिक्षक डीएड में छह बार फेल

राज्य के स्कूलों में तीन हजार शिक्षक ऐसे हैं, जो डीएड की परीक्षा में छह बार फेल हो चुके हैं। अब स्कूल शिक्षा विभाग इन शिक्षकों को सातवां अवसर देने के लिए विधि विभाग से अभिमत मांग रहा है।

कमजोर परफार्मेंस वाले शिक्षकों के लिए निर्णय नहीं

सीधी बातः सुब्रत साहू, सचिव, स्कूल शिक्षा

सवालः सीएम साहब ने भी कहा कि कुछ शिक्षकों को पहाड़ा नहीं आता है? गुणवत्ता अभियान में फीडबैक मिला है कि दिनों की स्पेलिंग भी शिक्षकों को नहीं आती है?

जवाबः हां, होंगे ना ।

सवालः तो क्या इन शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए कुछ करेंगे या नौकरी से निकालेंगे?

जवाबः अभी तक कुछ तय नहीं हो पाया है?

सवालः डीएड में छह बार परीक्षा के बाद जो शिक्षक फेल हो गए हैं, उनके लिए क्या कर रहे हैं?

जवाबः अभी लीगल पॉइंट ले रहे हैं , देखते हैं।

शिक्षकों को किया जाएगा अपग्रेड

कमजोर परफार्मेंस वाले स्कूलों में पड़ताल की गई। शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए एससीईआरटी को पत्रलिख रहे हैं। – अब्दुल केसर हक, संचालक, सर्व शिक्षा अभियान

कुछ प्रतिशत शिक्षक ही ऐसे हैं, जिन्हें पहाड़ा नहीं आता, अंग्रेजी नहीं पढ़ सकते। इसके लिए शिक्षकों से ज्यादा तो सरकार दोषी है। पिछले सालों में शिक्षकों से गैर-शिक्षकीय कार्य लिए जा रहे हैं। भर्ती प्रक्रिया नीति में लगातार बदलाव होता रहा है। कमजोर शिक्षकों को नियुक्त करने वाला तो सरकारी सिस्टम ही है। – वीरेंद्र दुबे, प्रातांध्यक्ष शालेय शिक्षाकर्मी संघ

शिक्षा में गुणवत्ता तो बेहतर शिक्षकों से आती है। ज्यादातर शिक्षक संविदा में हैं। ऐसे में शिक्षकों को कोसने से पहले, नियुक्ति के सिस्टम को सुधारने की जरूरत है। गुणवत्ता तभी आएगी जब शिक्षक नियमित होंगे और निश्चिंत होकर नौकरी कर पाएंगे। – यूके जैन, शिक्षाविद

 

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